बिहार में चमकी बुखार से हो रही मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 140 बच्चों की मौत हो गई. आज यानी शुक्रवार तक श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में 119 और केजरीवाल हॉस्पिटल में 21 बच्चों की मौत हुई. हालांकि, बारिश के बाद इस आंकड़े में कमी आई है लेकिन बच्चों की मौत नहीं रुक रही है.
इस बीमारी से प्रभावित जिलों में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जहानाबाद, किशनगंज, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, पटना, पूर्णिया, शिवहर, सुपौल शामिल हैं. मुजफ्फरपुर जिले के बाद पूर्वी चंपारण जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं और वह भी 15 वर्ष तक की उम्र के. इस कारण मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. गौरतलब है कि पूर्व के वर्षों में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी की अध्ययन कर चुकी है.
एक हफ्ता पहले मानसून ने बिहार में प्रवेश किया है. मुजफ्फरपुर सहित राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मद्धिम बारिश हुई है, जिससे किसानों से ज्यादा डॉक्टर, मेडिकल अधिकारियों और एईएस से प्रभावित बच्चों के माता-पिता खुश हुए हैं क्योंकि तापमान घटने से चमकी बुखार का असर घटेगा.
डॉक्टरों का मानना है कि मुजफ्फरपुर और पड़ोसी जिलों में पसरे एईएस के प्रकोप की रोकथाम में दवाओं से ज्यादा बारिश कारगर होगी और 100 से ज्यादा उन बच्चों के लिए मददगार साबित होगी, जिनका इलाज अभी भी अस्पतालों में चल रहा है. उनकी हालत तेजी से सुधारेगी.