बिहार में चमकी बुखार से मौतों का सिलसिला थम गया है. बारिश के बाद मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज और केजरीवाल हॉस्पिटल में चमकी बुखार से पीड़ितों की आमद भी कम हो गई है. हालांकि अभी भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है. राज्य और केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई टीमें हालात पर नजर बनाए हुए हैं. चमकी बुखार से अभी तक बिहार में 150 बच्चों की मौत हो चुकी है, वहीं अकेले मुजफ्फरपुर में 132 बच्चे मरे हैं.
चमकी बुखार से प्रभावित इलाके
बिहार में लगभग दो दशकों से गर्मियों के मौसम में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) से बच्चों की मौतें हो रही हैं. इस साल भी चमकी बुखार से पूरे बिहार में अबतक 150 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. चमकी बुखार से प्रभावित जिलों में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जहानाबाद, किशनगंज, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, पटना, पूर्णिया, शिवहर, सुपौल शामिल हैं. मुजफ्फरपुर जिले के बाद पूर्वी चंपारण जिला सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, जहां 21 बच्चों की मौत हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब
बिहार में चमकी बुखार से हुईं बच्चों की मौतों पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रूख अपनाया. कोर्ट ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार से इस बीमार पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने सरकारों से तीन मुद्दे पर हलफनामा दायर करने को कहा है, जिसमें हेल्थ सर्विस, न्यूट्रिशन और हाइजिन का मामला है. अदालत की तरफ से कहा गया कि ये मूल अधिकार हैं, जिन्हें मिलना ही चाहिए.
क्या है चमकी बुखार, कैसे होते हैं लक्षण?
चमकी बुखार एक संक्रामक बीमारी है. इसके वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर अपना प्रजनन शुरू कर देते हैं. शरीर में इस वायरस की संख्या बढ़ने पर खून के साथ मिलकर व्यक्ति के मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क में पहुंचने पर ये वायरस कोशिकाओं में सूजन पैदा करते हैं, जिसकी वजह से शरीर का 'सेंट्रल नर्वस सिस्टम' खराब हो जाता है.
इस बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार रहता है. बदन में ऐंठन के साथ बच्चा अपने दांत पर दांत चढ़ाए रहता हैं. शरीर में कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता रहता है. शरीर में कंपन के साथ बार-बार झटके लगते रहते हैं.
For latest update on mobile SMS