बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अफसरों को ईमानदारी की नसीहत कुछ अलग अंदाज में दी. ग्रामीण विकास विभाग के एक कार्यक्रम के दौरान सीएम का दार्शनिक अंदाज देखने को मिला.
'रिश्वत की क्या जरुरत'
विभाग के अधिकारियों को अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेने की कोई जरुरत नहीं होनी चाहिए. उनके मुताबिक, ' सरकारी कर्मचारियों को और कितना तनख्वाह चाहिए ? सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो जाने के बाद जितनी तनख्वाह सरकारी कर्मचारियों की हो गई है, क्या वह कम है ? इतना पैसा कमाकर आदमी आखिर क्या करेगा ?'
जब फिलॉसफर हो गए सीएम..
नीतीश की नसीहतों का सिलसिला यहीं नहीं थमा. उनका कहना था कि भारत में हर एक की जरुरतें पूरी करने लिए काफी संसाधन हैं लेकिन किसी एक के भी लालच को नहीं. इससे आगे मुख्यमंत्री दार्शनिक हो गए और कहा- 'सभी को एक दिन दुनिया छोड़कर चले जाना है और सब कुछ यहीं पड़ा रह जाएगा. कफन में जेब नहीं होती है. एक गरीब इंसान को हमेशा गहरी नींद आती है जबकि पैसे वाले आदमी को नींद के लिए दवाई खानी पड़ती है."