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अमित शाह ने प्रशांत किशोर को JDU में शामिल करने के लिए 2 बार कहा था: नीतीश

Amit Shah asked Bihar Chief Minister Nitish Kumar twice to induct Prashant Kishor into JD(U) भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को JDU में शामिल करने के लिए दो बार कहा था. नीतीश कुमार ने खुद इसका खुलासा किया.

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Bihar Chief Minister Nitish Kumar(Facebook Photo- @NitishKumarJDU)
Bihar Chief Minister Nitish Kumar(Facebook Photo- @NitishKumarJDU)

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चुनावी रणनीतिकार से राजनीति के सफर की शुरुआत करने वाले प्रशांत किशोर को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा खुलासा किया है. जनता दल युनाइटेड (JDU) अध्यक्ष नीतीश कुमार ने दावा किया कि उनसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को JDU में शामिल करने के लिए दो बार कहा था. इसके बाद ही उनको जेडीयू में शामिल किया गया है. आपको बता दें कि फिलहाल प्रशांत किशोर जेडीयू के उपाध्यक्ष हैं. उनको जेडीयू में शामिल होने के बाद सीधे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया.

नीतीश कुमार ने बिहार की राजधानी पटना में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर को अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखने से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह बात कही. किशोर को पिछले साल सितंबर में जेडीयू में शामिल किया गया था और कुछ ही हफ्ते बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया.

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इसके बाद से ऐसी अटकलें लगने लगी कि नीतीश कुमार प्रशांत किशोर को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने के बारे में सोच रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वह हमारे लिए नए नहीं हैं. उन्होंने हमारे साथ साल 2015 के विधानसभा चुनाव में काम किया था. थोड़े समय के लिए वो कहीं और व्यस्त थे. कृपया मुझे बताने दें कि अमित शाह ने मुझे दो बार किशोर को जेडीयू में शामिल करने को कहा था.’

नीतीश कुमार ने कहा, ‘प्रशांत किशोर को समाज के सभी तबके से युवा प्रतिभाओं को राजनीति की ओर आकर्षित करने का काम सौंपा गया है. राजनीतिक परिवारों में नहीं जन्मे लोगों की राजनीति से पहुंच दूर हो गई है. ऐसे में उनको राजनीति से जोड़ना बेहद जरूरी है.’ बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने कहा, ‘मुझे प्रशांत किशोर से काफी लगाव है, लेकिन उत्तराधिकारी जैसी बातें हमें नहीं करनी चाहिए. यहां राजशाही नहीं है. हम लोकतंत्र में रहते हैं और यहां पर हर काम लोकतांत्रिक तरीके से होता है.’

प्रशांत किशोर के जेडीयू में शामिल होने के बाद पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव हुए थे, जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और जेडीयू की छात्र ईकाई यानी जनता दल (यूनाइटेड) ने बाजी मारी. छात्रसंघ के 5 अहम पदों पर जेडीयू की छात्र ईकाई ने कब्जा जमाया, जबकि एबीवीपी को 3 अहम पदों पर बढ़त मिली. छात्रसंघ चुनाव के नतीजे आने से पहले प्रशांत किशोर ने पूर्व कुलपति से मुलाकात भी की थी, जिसको लेकर बवाल मचा था. इस दौरान उनकी गाड़ी पर हमला भी किया गया था.

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आपको बता दें कि प्रशांत किशोर कई राजनीतिक दलों के रणनीतिकार के रूप में काम कर चुके हैं. उनकी मौजदूगी को किसी भी पार्टी के लिए जीत की गारंटी के तौर पर देखा जाता रहा है. उन्होंने साल 2013 में सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (CAG) के जरिए पीएम मोदी के साथ युवा प्रोफेशनल्स को जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया था. उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और दिल्ली विश्वविद्यालय के युवाओं को अपने अभियान के साथ जोड़ा. जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी, तो इन युवाओं को सरकार के साथ जोड़ा गया. किसी को मंत्री के साथ, तो किसी को नीति आयोग और किसी को पार्टी या उससे ताल्लुक रखने वाले थिंक-टैंक से जोड़ा गया.

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