भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि राम मंदिर का मुद्दा अदालत के फैसले या आपसी सहमति से सुलझना चाहिए. जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का यह बयान हिंदूवादी संगठनों की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग के बीच आया है. उनका यह बयान जदयू द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने के विरोध का संकेत माना जा रहा है.
एक सवाल पर जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा, 'हमारा लंबे समय से यह कहना रहा है कि इस मुद्दे को या तो अदालत के फैसले या फिर आपसी सहमति से सुलझाया जाना चाहिए.' कुमार ने कहा कि प्रत्येक पार्टी का अपना विचार होता है, लेकिन इस मामले में उनकी पार्टी का रुख लंबे समय से यही है.
इस दौरान उन्होंने उन विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया, जो अन्य मामलों के साथ ही कानून व्यवस्था खराब होने का आरोप लगाकर उनकी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि दुष्प्रचार का बिहार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'हम न्याय के साथ विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. मेरी बिना वजह बोलने की आदत नहीं है. कुछ लोगों में सिर्फ बोलने की आदत होती है, लेकिन मैं अपना काम करता हूं.'
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) समेत विभिन्न हिंदुत्ववादी संगठन लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाए. हालांकि राम मंदिर भूमि विवाद का मामला वर्तमान में देश की सर्वोच्च अदालत में लंबित है.