बिहार में नवंबर से पहले चुनाव होने हैं, लेकिन अभी से सियासी माहौल गरमाना शुरू हो गया है. एक ओर खबर आ रही है कि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मौजूदा सीएम जीतन राम मांझी के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं. लेकिन शनिवार को नीतीश की मौजूदगी में मांझी ने कहा कि दोनों में कोई मतभेद नहीं है.
बिहार: खुलकर सामने आ रही है जेडीयू में गुटबाजी
मांझी ने कहा, 'हम दोनों एक हैं. हम एक ही पार्टी के लिए काम करते हैं. पार्टी में जो लोग मतभेद पैदा कर रहे हैं, वो अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं. वो ऐसा करने में सफल नहीं होंगे.'
जुबानी जंग को शांत करने के लिए शरद मिले मांझी से
नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के समर्थकों के बीच जेडीयू में जारी जुबानी जंग से पार्टी के भीतर गहरा रहे संकट को खत्म करने के लिहाज से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने बंद कमरे में मांझी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से बातचीत की. पटना में शरद ने एक बंद कमरे में करीब आधा घंटे तक मांझी और वशिष्ठ के साथ बातचीत की. हालांकि बैठक के बाद जब मांझी से पूछा कि जेडीयू की अंदरूनी दिक्कतों को लेकर यह बातचीत हुई, तो उन्होंने दो-टूक कहा कि पार्टी के भीतर कोई समस्या नहीं है.
बार-बार सवाल करने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आप इस बारे में शरद यादव जी से पूछें. नीतीश के आवास से उक्त बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे वशिष्ठ नारायाण सिंह ने माना कि जेडीयू नेताओं की लगातार बयानबाजी से स्थिति ‘गंभीर’ हो रही है और इससे पार्टी को बहुत नुकसान हो रहा है.
बीते बुधवार को बिहार के खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक के सरकारी आवास पर आयोजित डिनर में शामिल हुए नीतीश समर्थक 20 मंत्रियों की ‘डिनर डिप्लोमेसी’ से जेडीयू के भीतर संकट और गहराया गया है.
इस ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के बाद मांझी ने बीते 22 जनवरी को विद्रोही तेवर अपनाते हुए बांका जिला में एक समारोह के दौरान दावा किया था कि वे अपने पूर्ववर्ती से बेहतर काम कर रहे हैं. पहले राज्य सरकार बजट राशि का 30 से 45 भी खर्च नहीं कर पाती थी, जबकि उन्होंने कल्याणकारी कार्यों पर बजट का 58 प्रतिशत खर्च किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने सरकारी राशि की लूट पर रोक लगा दी है इसलिए सभी उन्हें हटाने की कोशिश में लगे हुए हैं.
इसी हफ्ते की शुरुआत में मंगलवार को नीतीश के 7 सर्कुलर रोड आवास पर पार्टी के जिला प्रमुखों और अन्य नेताओं के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में मांझी ने हिस्सा नहीं लिया था. इसके बाद से ऐसी खबरें आना शुरू हो गई थीं कि दोनों के बीच मतभेद काफी बढ़ चुके हैं.
मंगलवार को ही मांझी ने केंद्रीय ग्रामीण विकास और स्वच्छता राज्य मंत्री रामकृपाल यादव के साथ एक घंटे लंबी बैठक की थी, जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि मांझी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
गौरतलब है कि रामकृपाल कभी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के विश्वासपात्र थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. रामकृपाल ने कहा कि जेडीयू के कुछ नेताओं के अवांछनीय बयानों से हुए विवाद से मुख्यमंत्री आहत महसूस कर रहे हैं.
अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि मांझी और नीतीश के बीच की दूरियां कम हो जाएंगी या मांझी बीजेपी का दामन थाम लेंगे.