बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि उनके सीखने की उम्र गुजर चुकी है. मांझी ने कहा कि वे अभी की तरह ही आगे भी जनता के काम करते रहेंगे.
बेगूसराय जिले के सिंघमा गांव में प्राइमरी हेल्थ सेंटर का शिलान्यास करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा, ‘सबके आदर और प्रेम के कारण मुझे यह अवसर मिला और मैं आपकी सेवा में लगा हुआ हूं. 40 साल से सक्रिय राजनीति में हूं. छह बार जनता ने मुझे विधानसभा का चुनाव में जिताया. मेरा कोई राजनीतिक गुरु नहीं है. न जात है, न जमात है, न पैसा और न ही किसी दबंग का साथ, फिर भी जनता की कृपा से विधायक बनता रहा हूं.’
मांझी ने कहा, ‘जब मुख्यमंत्री बना, तो यह एहसास हुआ कि भगवान का इशारा हुआ है कि जाओ गरीबों की सेवा करो. जो सोचता हूं, वह करता हूं और गरीबों और आप सब की सेवा का जो मुझे अवसर मिला है, उसमें कोई कोई कसर नहीं छोड़ूंगा.’
मांझी ने कहा ‘मैं निगेटिव सोच नहीं रखता हूं, पॉजिटिव बातों में मेरा विश्वास है. जो बातें दिल में आती है, मैं उसे करता हूं. आप सबके लिए कुछ न कुछ करने का मेरे दिल में जज्बा है. मैं राजनीति नहीं करता हूं. मैं तो बस आप लोगों का एक सेवक ही हूं.’
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी के बिहार से केंद्रीय मंत्रियों के बारे में विवादास्पद टिप्पणी ने जेडीयू को असहज स्थित में ला दिया था. मांझी ने कहा ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के समय बहुत से वादे किए थे. हम लोगों की भी आशा जगी थी, मगर जब वादों को पूरा करने का समय आया और केन्द्र में सरकार बने छह माह से ऊपर हो गए, मगर अब तक कोई वादे पूरे नहीं हुए. हमने राज्य का बजट 57 हजार करोड़ रुपये का बनाया था. सुनने में आया कि हमारे बजट को 51 हजार करोड़ रुपये पर समेटकर रख दिया गया है.’ उन्होंने कहा कि राज्य के सात केन्द्रीय मंत्री बने हैं. वे अपने क्षेत्र में अच्छा काम काम कर सकते हैं. उनसे अनुरोध किया था कि रघुराम राजन समिति की अनुशंसा के अनुसार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाएं.
मांझी ने कहा कि बिहार के सातों केंद्रीय मंत्री मिलकर बिहार को उसका हक दिला दें, ताकि हम बिहार का प्रगति की नई दिशा दे सकें. बिहार को आगे बढ़ा सकें, बिहार की गरीबी, बेरोजगारी व बेवसी को समाप्त कर इसे उन्नत राज्यों की श्रेणी में पहुंचा सके.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारा हक भी केन्द्र सरकार नहीं दे रही है. टैक्स में भागीदारी का पैसा और विशेष राज्य का दर्जा हमें मिलना चाहिए. झारखंड बनने के बाद जो क्षतिपूर्ति की बारह हजार करोड़ रुपये की राशि तय की गई थी, उस मद में भी पर्याप्त राश नहीं मिली है. झारखंड बनने के बाद क्षतिपूर्ति मद का पैसा केन्द्र हमें दे दे, तो हम विकास के बहुत सारे काम कर सकेंगे.’
---इनपुट भाषा से