बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी दो दिन पहले बिजली बिल में सुधार के लिए रिश्वत दिए जाने के अपने बयान से गुरुवार को पलट गए. उन्होंने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि यह मामूली बात थी. उस समय अधिकारियों को 200 रुपये मिठाई खाने के लिए दिए थे. उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है.
मांझी ने गुरुवार को सासाराम में अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, 'बात मामूली सी है. यह 1994 का एक वाकया है, जो मेरे बच्चे के साथ घटा था. मैं अभिभावक हूं, इसलिए मुझे इसकी जानकारी हुई.' उन्होंने कहा, 'बच्चे को बिजली बिल भरने के लिए 5,000 रुपये दिए थे, लेकिन कार्यालय से बिल की रसीद 1,500 रुपये की दी गई. पूछने पर बच्चे ने बताया कि उसने 1500 रुपये का बिल भरा और 200 रुपये अधिकारियों को मिठाई खाने के लिए दिए. बच्चे ने बताया था कि बिजली बिल सेटल करने में उन लोगों ने बड़ी मेहनत की.'
गौरतलब है कि मंगलवार को पटना में ग्रामीण विकास विभाग के एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था, 'एक बार हमारा बिजली बिल 25 हजार रुपये आया था. बच्चों ने बिजली बिल के अधिकारी से बात करके, रिश्वत देकर बिल 5000 रुपये का करवा लिया था.'
उन्होंने कहा था, 'मैंने मंत्री होते हुए भी रिश्वत दी थी. रिश्वत नहीं देता तो बिजली कनेक्शन कट जाता. नीतीश के नेतृत्व में बिहार का विकास तो हुआ, लेकिन भ्रष्टाचार बढ़ गया.'
मुख्यमंत्री के इस बयान से राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई. औरंगाबाद से सांसद सुशील कुमार सिंह ने लोकसभा में भी यह मामला उठाया था. इन सब बातों के कारण मुख्यमंत्री को अपने बयान पर सफाई देनी पड़ी है.