सीएजी (CAG) ने बिहार सरकार (Bihar Govt) की वर्ष 2019-20 के लिए वित्तीय प्रबंधन को लेकर अपनी नई रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों का खुलासा किया है. इसमें मुख्यतः तकरीबन 80 हजार करोड़ रुपये की उपयोगिता प्रमाण पत्र बार-बार मांगे जाने पर भी नहीं देने की बात कही गई है. दूसरी तरफ सीएजी (CAG) ने यह भी खुलासा किया है कि बिहार सरकार ने तकरीबन 19 हजार करोड़ रुपये जो सरकार ने अपने अधीन आने वाले विभिन्न उपक्रमों को दिए थे, उसके उपयोग का ऑडिट भी पिछले कई वर्षों से नहीं कराया है.
80 हजार करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र राज्य सरकार की तरफ से नहीं दिए जाने को लेकर सीएजी ने आशंका जताई है कि इतनी बड़ी राशि का दुरुपयोग या फिर गबन संभव है. वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने बीते गुरुवार को बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सीएजी (CAG) रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर पेश किया था.
2019 में पहली बार 1784 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ
इस रिपोर्ट में सीएजी ने यह भी कहा है कि 2008-09 के बाद 2019 में पहली बार 1,784 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ. दिलचस्प बात यह है कि सीएजी के द्वारा अपने रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितता का उल्लेख करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को पसंद नहीं आया है. उन्होंने साफ कहा है कि सीएजी ने यह रिपोर्ट केवल पब्लिसिटी के लिए जारी की है.
सोमवार को जनता दरबार के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए जब उनसे सीएजी की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीएजी के ऊपर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि सीएजी ने बिहार सरकार के खिलाफ रिपोर्ट केवल पब्लिसिटी पाने के इरादे से की है.
हम लोगों ने सीएजी रिपोर्ट कभी नहीं रोकीः नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा कि हम लोगों ने सीएजी की रिपोर्ट को कभी नहीं रोका है. इस मामले पर मेरे लिए प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है, मगर मीडिया की इच्छा होगी तो हमारे अधिकारी स्थिति से आपको अवगत करा देंगे. सरकार के ऊपर डैमेजिंग कमेंट देने से पब्लिसिटी मिलेगी न. यह केवल पब्लिसिटी है. बिहार में कितना काम हो रहा है, इसको भी देख रहे हैं. किसी भी क्षेत्र में देख लीजिए, 2005 में जो स्थिति थी, वो अब नहीं है. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने बिहार को कहां से कहां पहुंचा दिया है. अगर कोई सरकार के खिलाफ लिखेगा तो उसको पब्लिसिटी मिलेगी.