बिहार में सरकार बदलने और मंत्रिमंडल विस्तार होने के साथ ही सियासी फिज़ा भी बदल गई है. बिहार में कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाए जाने पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. सरकार के सहयोगी दल उनके मंत्री पद की शपथ लेने 48 घंटे के भीतर ही इस्तीफा देने का दवाब बनाने लगे हैं. उधर कार्तिकेय सिंह को लेकर बीजेपी फ्रंटफुट पर आ गई है.
महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा (माले) ने भी कानून मंत्री के पद पर कार्तिकेय सिंह को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने बयान जारी करते हुए कहा है कि कार्तिकेय सिंह के मंत्री पद को लेकर सरकार को फिर से विचार करना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से अपहरण के एक मामले का सामना कर रहे नवनियुक्त विधि मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर जारी विवाद के मद्देनजर उनके मंत्री पद पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
राज्य सचिव ने कहा है कि ऐसे लोगों के मंत्री पद पर रहने से सरकार की छवि धूमिल होती है. कुणाल ने कहा कि इससे संबंधित पत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को दिया जाएगा. कानून व्यवस्था की बेहतरी और न्याय की गारंटी को लेकर हमारी पार्टी प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि पार्टी जनता की उम्मीदों को लगातार मजबूती से उठाती रहेगी. आपको बता दें कि वामदल नीतीश कुमार की सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं.
दूसरी ओर इस मामले पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने भी सवाल खड़ा किया है. जीतन राम मांझी का कहना है कि शपथ लेने से पहले इस बात की जानकारी सरकार को नहीं रही होगी. तभी ऐसा हुआ. अन्यथा जानकारी रहने के बाद शपथ नहीं दिलाया जाता. खुद का उदाहरण देते हुए मांझी ने कहा की उन पर सिर्फ FIR हुआ था. इसके बाद सवाल खड़े हुए थे और मैंने 8 घंटे के भीतर ही इस्तीफा सौंप दिया था.
आपको बता दें कि राजद की ओर से मंत्री बने कार्तिकेय सिंह पर अपहरण का आरोप सामने आने के बाद सहयोगी दल सरकार पर दबाव बनाने लगे हैं. शपथ समारोह वाले दिन कार्तिकेय सिंह को कोर्ट में हाजिर होना था, लेकिन वो नहीं गए. वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया है कि जिस पर अपहरण जैसा गंभीर मामला है, वो कैसे शपथ ले सकता है. फिलहाल, कार्तिकेय सिंह की राह आसान नहीं दिख रही है.