बिहार में बाढ़ के कारण हालात बेहद खराब हैं, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. इस बीच राज्य में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 23 हो गई है. मुख्यमंत्री ने कहा, "कई इलाकों में शनिवार से भारी बारिश जारी है और गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है. लेकिन हालात से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और प्रशासन लोगों की मदद करने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है."
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "ये स्थिति किसी के हाथ में नहीं होती, ये आपदा प्राकृतिक है. मौसम विभाग भी सुबह कुछ कहता है और दोपहर में कुछ होता है. पीने का साफ पानी मुहैया कराने के लिए भी इंतजाम किए जा रहे हैं. साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी कम्युनिटी किचन चलाए जा रहे हैं."
Bihar Chief Minister Nitish Kumar on flood situation in the state: Such a situation is not in any one's hand, it's a natural thing. Arrangements are being done to provide drinking water to all. Also, arrangements are being made for community kitchens for the flood-affected people https://t.co/5Pyyw3VUKW
— ANI (@ANI) September 29, 2019
बिहार में बाढ़ के कारण कई इलाकों में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. राजधानी पटना में भी हालात खराब हैं. उत्तर बिहार के 14 जिले इससे प्रभावित हैं. बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इमरजेंसी बैठक की. बैठक में भारतीय मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे.
राजेंद्र नगर की स्थिति काफी भयावह
पटना के राजेंद्रनगर की स्थिति काफी भयावह है. मूसलाधार बारिश से इस इलाके में इतना पानी जमा हो गया है कि लोगों ने कभी सपने में नही सोचा था. 1996-97 में राजेंद्रनगर में नाव चली थी, लेकिन इतना पानी किसी ने नहीं देखा था. 1975 में पटना में जो बाढ़ आई थी ठीक वैसा ही नजारा आज राजेंद्रनगर में दिख रहा है.
सभी घरों के ग्राउंड फ्लोर पानी में हैं. गाड़ियां जलमग्न हो गईं हैं. राजधानी के पंप हाउस में पानी जाने की वजह से यहां की मशीनरी काम नहीं कर रही है. लोग घरों में फंसे हुए हैं. बिजली की सप्लाई घंटों से काट दी गई है, पीने की पानी की भी घोर किल्लत मची है. बच्चे दूध के लिए रो रहे हैं. NDRF और SDRF की टीमें 16 बोट के जरिए लोगों को निकालने का काम कर रही है, लेकिन भारी आबादी को देखते हुए ये संख्या नाकाफी हो रही है.