बिहार में सत्ताधारी जेडीयू और आरजेडी गठबंधन में जारी सियासी खींचतान के बीच नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया. इस तरह बिहार के मुख्यमंत्री पद पर उनका चौथा कार्यकाल समाप्त हो गया.
पहली बार 7 दिन बाद ही देना पड़ा इस्तीफा
नीतीश कुमार को सबसे पहले साल 2000 के मार्च में मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी. नीतीश तब केंद्र की एनडीए सरकार में कृषि मंत्री थे और 3 मार्च को बीजेपी के सहयोग के राज्य में पहली बार सरकार गठन किया था. हालांकि तब उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं था और इस तरह महज 7 दिन बाद ही 10 मार्च 2000 को उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
फिर लगातार दो बार चुने गए मुख्यमंत्री
इसके बाद वर्ष 2005 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठंबधन में चुनाव जीता और 24 नवंबर को एक बार फिर सीएम की कुर्सी पर आसीन हुए. बीजेपी के साथ उनका गठबंधन बेहद ही सहज तरीके से चलता रहा और इस दौरान उन्होंने लगातार दो चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए सरकार गठन किया. हालांकि आगे चलकर बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी को एनडीए का प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किए जाने के विरोध में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया.
इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में जब जेडीयू की दुर्गति हुई तब एक बार फिर नीतीश ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को कुर्सी पर बिठा दिया.
दो साल भी नहीं चल सका मोदी विरोध का महागठबंधन
इसके बाद बिहार के विधानसभा चुनावों में उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर प्रचंड बहुमत हासिल किया. तब इस जीत को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को रोकने का रामबाण माना गया और आगे के चुनावों में भी ऐसी ही रणनीति बनाने की वकालत की जाने लगी. हालांकि शुरू से ही असहज रहा यह महागठंबन दो साल भी नहीं चल सका और नीतीश कुमार ने एक बार फिर नैतिकता का हवाला देते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.