बिहार में भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच इस बात को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या स्वास्थ्य विभाग रोजाना जो मौत की संख्या बता रहा है, उसमें कोई फर्जीवाड़ा है? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि सरकार के आंकड़ों से 4 गुना ज्यादा संक्रमित लाशों को पिछले 5 दिनों में जलाया गया है.
राजधानी पटना में ही केवल जब इस पूरे मामले की 'आजतक' ने तफ्तीश शुरू की तो पता चला कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए जा रहे मौत के आंकड़े और श्मशान घाट में जो संक्रमण से मरने वाले लोगों का शव को जलाया जा रहा है उसमें भारी अंतर है.
10 से 14 अप्रैल, यानी कि इन 5 दिनों के दौरान स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बताया गया कि पटना में कुल 16 लोगों की मौत हुई है.
10 अप्रैल को मरने वाले की संख्या- 1
11 अप्रैल को मरने वालों की संख्या- 1
12 अप्रैल को मरने वालों की संख्या- 3
13 अप्रैल को मरने वालों की संख्या 4
14 अप्रैल को मरने वालों की संख्या- 7
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि इन 5 दिनों के दौरान पटना में 16 लोगों की मौत हुई. इसी मामले की तफ्तीश को आगे बढ़ाते हुए 'आजतक' ने पटना के सबसे बड़े विद्युत शवदाह गृह बांस घाट पर पड़ताल शुरू की तो पता चला कि केवल 12 और 13 अप्रैल को ही 50 से ज्यादा संक्रमण से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार यहां किया गया है.
बांस घाट विद्युत शवदाह गृह के प्रभारी राजकुमार ने कहा कि “24 घंटे से बांस घाट पर संक्रमित लोगों के शव को जलाया जा रहा है. 12 और 13 तारीख को सबसे ज्यादा संक्रमित लोगों के शव को जलाया गया. कल तकरीबन 7-8 शव को जलाया गया था.”
बांस घाट विद्युत शवदाह गृह के आंकड़ों के मुताबिक
12 अप्रैल को 24 संक्रमित शवों को जलाया गया
13 अप्रैल को 32 संक्रमित शवों को जलाया गया
14 अप्रैल को 8 संक्रमित शवों को जलाया गया
इन 3 दिनों में ही यानी 60 से ज्यादा शव को जलाया गया जो सरकार के दावों की पोल खोलता है. बांस घाट विद्युत शवदाह गृह में हालात इतने दर्दनाक है कि लाशों की लंबी कतार चौबीसों घंटे देखने को मिलती है और कभी-कभी तो कतार इतनी लंबी हो जाती है कि बाहर सड़क पर ही लाश को रखकर अपने बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.
गौरतलब है, पटना में 13 तारीख तक कोविड-19 से मरने वाले सभी लोगों के शव को बांस घाट विद्युत शवदाह गृह में ही जलाया जा रहा था, मगर 14 तारीख से पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह के आदेश पर शहर के दो अन्य विद्युत शवदाह गृह को फिर से शुरू किया गया जो पिछले कई सालों से खराब पड़े थे.
अब पटना में कुल 3 जगहों पर कोविड-19 संक्रमित लोगों के शव को जलाने की व्यवस्था की गई है, बांस घाट, गुलबी घाट और खजेकलां घाट.
पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि “निरीक्षण के दौरान मैंने पाया कि कई विद्युत शवदाह गृह बंद पड़े हैं जिसको फिर से शुरू कराया गया है. अब पटना में तीन जगहों पर शवों को जलाने की व्यवस्था कर दी गई है.”