बिहार में कोविड-19 की जांच में हुए फर्जीवाड़े को लेकर आजतक के पास जो दस्तावेज मौजूद है उसके आधार पर यह खुलासा हुआ है कि स्वास्थ्य विभाग ने कागज पर ऐसे लोगों के नाम चढ़ा दिए हैं जिन्होंने कोविड-19 की जांच कभी करवाई ही नहीं. जमुई में आजतक की टीम ने पूरे गड़बड़ झाले की तफ्तीश करते हुए ऐसे 2 लोगों को ढूंढ निकाला है जिनका नाम सरकारी कागज पर चढ़ा हुआ है कि उन लोगों की कोविड-19 जांच हुई है मगर असल में उन लोगों की जांच कभी हुई ही नहीं.
ये पूरा फर्जीवाड़ा जमुई के सिकंदरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा हुआ है जिसके दस्तावेज आजतक के पास हैं. आजतक के पास मौजूद इस दस्तावेज में एक नाम है किशोरी यादव का, जो कि जमुई के सिकंदरा ब्लॉक में स्थित रामदीह गांव का रहने वाला है. तफ्तीश के दौरान आजतक ने किशोरी यादव के मोबाइल पर उससे बात की तो पता चला कि वह एक दिहाड़ी मजदूर है.
किशोरी यादव की तलाश करते हुए आजतक की टीम रामदीह गांव पहुंची. बातचीत के दौरान किशोरी यादव ने बताया कि उसने कभी कोविड-19 की जांच करवाई ही नहीं है, मगर उसका नाम और मोबाइल नंबर कैसे सरकारी कागजों में चढ़ाया गया, इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. किशोरी यादव ने आजतक से कहा “मेरी कभी भी कोरोना जांच नहीं हुई है मगर कैसे मेरा नाम कागज में दिखाया गया है, मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है”.
किशोरी यादव से मुलाकात के बाद आजतक की टीम ने अपनी तफ्तीश को और आगे बढ़ाया तो हमें मिथिलेश राम नाम के व्यक्ति के बारे में भी पता चला. आजतक से फोन पर बातचीत के दौरान मिथिलेश राम ने बताया कि उसने कभी अपना कोविड-19 जांच नहीं करवाया है.
इसके बाद आजतक की टीम मिथिलेश राम से मिलने के लिए उसके गांव पहुंची, जहां उसकी छोटी सी किराने की दुकान है. मिथिलेश राम भी इस बात से अनजान थे कि जब उसने कभी कोविड-19 की जांच करवाई ही नहीं तो फिर सरकारी कागज में उसका नाम और मोबाइल नंबर कैसे दिखाया गया है? मिथिलेश राम ने कहा “मुझे भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैंने कभी अपना कोविड-19 जांच नहीं करवाया है. सरकारी कागज में मेरा नाम और मोबाइल नंबर कैसे लिखा गया है मुझे नहीं पता”