मंदिर के लिए हुई कारसेवा में बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन बिहार के दरभंगा जिले में अस्पताल बनाने के लिए कारसेवा शुरू हुई है. बीते 1 अगस्त से सैकड़ों की तादाद में युवा दरभंगा, मधुबनी समेत कई जिलों में गांव-गांव घूमकर हर घर से एक-एक ईंट मांग रहे हैं और इनका दावा है कि आगामी 8 सितंबर को दरभंगा में प्रस्तावित AIIMS की जमीन पर आम जनता खुद अस्पताल का शिलान्यास करेगी.
दरअसल, 2015 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिहार में दूसरा AIIMS बनाने की घोषणा की थी. 5 साल बाद 2020 में चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय कैबिनेट से दरभंगा में AIIMS बनाने की मंजूरी मिली. लेकिन अभी तक प्रस्तावित जमीन केंद्र सरकार को हस्तांतरित तक नहीं की गई है. हस्तांतरण तो दूर की बात अभी तक राज्य सरकार ने उस जमीन पर मिट्टी भराई का काम भी शुरू नहीं किया है.
मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने शुरू की कारसेवा
AIIMS बनने में हो रही देरी को लेकर उत्तर बिहार के छात्र संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने कारसेवा के जरिए लोगों को जागरुक करने और सरकार का ध्यान इस तरफ खींचने की कोशिश शुरू की है जिसे जनसमर्थन भी मिल रहा है. मिथिला स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष अनूप झा मैथिल ने बताया कि दरभंगा AIIMS के बाद देश में और कई AIIMS की घोषणा हुई और वो सभी बनकर तैयार हो चुके हैं और वहां चिकित्सा का काम भी शुरू हो चुका है, लेकिन दरभंगा AIIMS में अभी तक निर्माण की एक ईंट तक नहीं पड़ी है. उत्तर बिहार के 6 करोड़ लोगों को इलाज के लिए दिल्ली-मुम्बई या पटना जैसे शहरों में जाना पड़ता है. लेकिन दरभंगा AIIMS के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.
अनूप मैथिल ने कहा कि हम सोई हुई सरकार को जगाना चाहते हैं कि वो जल्द से जल्द दरभंगा AIIMS का निर्माण शुरू करे. सरकार ने 2015 में इसी AIIMS के नाम पर वोट मांगा, 2020 में फिर इसी मुद्दे पर वोट पड़े, जो रफ्तार चल रही है उस हिसाब से तो 2025 से लेकर 2035 तक दरभंगा AIIMS के नाम पर ही वोट मांगा जाएगा. आखिर एक ही योजना के नाम पर नेता कितनी बार वोट मांगेंगे. अनूप ने कहा कि हम एक महीने तक उत्तर बिहार के घर-घर जाकर ईंट जुटाएंगे और 8 सितंबर को जनता प्रस्तावित जमीन पर शिलान्यास करेगी.
केंद्र ने बिहार सरकार को लिखा था पत्र
दरअसल, 2015 के बजट में AIIMS की घोषणा के बाद 1 जून, 2015 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर AIIMS के लिए 200 एकड़ जमीन मुहैया कराने को कहा लेकिन बिहार सरकार ने इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया. इस बीच चुनाव हुए और नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ मिलकर एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए.
10 दिसंबर, 2015 को केंद्र ने दोबारा से राज्य सरकार को पत्र लिखा लेकिन इस बार भी कोई जवाब नहीं मिला. 6 मई, 2016 को केंद्र ने एक और रिमाइंडर लेटर भेजा. केंद्र के तीन पत्रों के बाद 3 अगस्त, 2016 को बिहार सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय खुद निर्णय करे कि उन्हें AIIMS के लिए जमीन कहां चाहिए.
8 दिसंबर, 2016 को केंद्र ने बिहार सरकार को जवाब देते हुए कहा कि जमीन मुहैया कराने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, इसलिए राज्य 3-4 जमीनों का सुझाव दें. 29 मार्च, 2017 को राज्य सरकार ने केंद्र को जवाब भेजा और फिर दोहराया कि केंद्र सरकार जमीन का चयन खुद करे. केंद्र सरकार ने 12 अप्रैल, 2017 को जमीन मुहैया कराने के लिए एक बार फिर रिमाइंडर लेटर भेजा.
इस बीच जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एक बार फिर NDA के साथ सरकार बना ली. लेकिन पिछले पत्र का जवाब न मिलने पर केंद्र ने 2 फरवरी, 2018 को फिर से पत्र लिखकर राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर 15 दिनों के भीतर जवाब नहीं दिया तो बिहार में दूसरे AIIMS की स्थापना का प्रस्ताव खारिज हो सकता है. फिर भी राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया तब जेपी नड्डा ने 1 जुलाई, 2018 को नीतीश कुमार को पत्र लिखकर पुरानी बातें दोहराई.
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इस बीच नीतीश कुमार ने केंद्र को सुझाव दिया कि दरभंगा के DMCH को केंद्र सरकार अपग्रेड करके AIIMS का निर्माण करे. DMCH को AIIMS की तर्ज पर विकसित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा चिन्हित भूखंड के प्रस्ताव को जनवरी, 2019 में केंद्रीय टीम के निरीक्षण के बाद केंद्र ने खारिज कर दिया.
उधर, ये खबरें भी आईं कि तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे AIIMS को अपने जिले भागलपुर में बनवाना चाहते हैं. लेकिन बिहार सरकार ने अपने प्रस्ताव में AIIMS के लिए जरूरी अन्य प्रतिबद्धताओं (NH 57 फोर लेन से कनेक्टिविटी और ROB का निर्माण) को भी पूरा करने का विश्वास जताया. जिसके बाद 16 दिसंबर, 2019 को केंद्रीय टीम ने एक बार फिर DMCH परिसर का दौरा किया और चुनाव से ठीक पहले 15 सितंबर, 2020 को केंद्रीय कैबिनेट ने दरभंगा AIIMS को मंजूरी दे दी.
सदन में अश्विनी चौबे ने दी थी जानकारी
भूमि चयन और कैबिनेट से मंजूरी के बाद तत्कालीन स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे से लेकर तकनीकी टीमों का दौरा तक हो चुका है, कई और पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन जमीन पर काम कुछ भी नहीं दिख रहा. तत्कालीन स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने मार्च, 2021 में सदन में बताया था कि अब तक राज्य सरकार की ओर से जमीन हस्तांतरित नहीं की गई है. जमीन हस्तांतरण तो दूर की बात, रोड कनेक्टिविटी से लेकर अतिक्रमण हटाने तक, यहां तक कि अभी जमीन भराई तक का काम नहीं हुआ है. अभी हाल ही में 27 जुलाई, 2021 को बिहार सरकार ने 13.23 प्रस्तावित जमीन पर मिट्टी भराई के लिए स्वीकृत किए हैं, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ है.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत प्रस्तावित 750 बेड वाले दरभंगा AIIMS को 4 साल के भीतर बनाया जाना है. इसके लिए 1264 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं. लेकिन मंजूरी मिलने लगभग 1 साल बीत चुके और काम निल बट्टे सन्नाटा और इसी सन्नाटे को तोड़ने के लिए शुरू हुई है AIIMS बनाने के लिए कारसेवा.