बिहार में शराबबंदी क्या हुई, लगता है जैसे पूरा राज्य ही शराबखाना हो गया है. हर रोज, हर घड़ी राज्य के किसी न किसी इलाके से शराब की बरामदगी हो रही है. राज्य सरकार को इसका अंदेशा पहले से था कि शराबबंदी के बाद अवैध शराब की तस्करी जमकर कर होगी.
इसीलिए बिहार सरकार ने शराबबंदी के कानून में कड़ा प्रावधान रखते हुए 10 साल सजा की व्यवस्था की. इसके अलावा जिस इमारत से शराब की बरामदगी हो, उस इमारत को जब्त करने का प्रावधान रखा गया. जिस इलाके से शराब बरामद होगा उस इलाके के पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का प्रावधान भी रखा. लेकिन इन तमाम कड़े कानून के बावजूद शराब की तस्करी में कमी आती नहीं दिख रही. उलटा शराब के कारोबार में इजाफा ही दिख रहा है.
स्कूल को बनाया अवैध शराब का गोदाम
यही नहीं शराब के तस्कर रोज नए नए हथकंडे अपना रहे हैं ताकि वे पुलिस की पकड़ से दूर रहें. दरभंगा में तो हद ही हो गई. यहां एक निजी स्कूल की इमारत को अवैध शराब का गोदाम बनाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. जिले के बहादुरपुर थाना क्षेत्र के इंदिरा कॉलोनी में स्थित जैस्मिन पब्लिक स्कूल के परिसर में पुलिस ने छापेमारी कर दो कार्टन शराब बरामद किए. बरामद शराब स्कूल के एक कमरे में बोरे में छिपा कर रखी गई थी. स्कूल में छिपाकर रखे गए इस शराब को स्कूल के ही मुख्य द्वार के पास चल रही किराना दुकान से बिक्री की जाती थी. अब जहां बच्चों को शिक्षा दी जाती है उस शिक्षा के मंदिर तक को अवैध शराब के कारोबारियों ने नहीं छोड़ा.
तालाब में छिपाकर रखी लाखों की शराब
इसी तरह मुजफ्फरपुर में एक तालाब में भारी मात्रा में शराब छिपाकर रखने का मामला सामने आया है. कटरा थाना के घनौर गांव में एक तालाब के अंदर पुलिस ने जब छानबीन करवाई तो तालाब के अंदर से 70 कार्टन विदेशी शराब मिली, जिसकी कीमत 15 लाख रुपये बताई जा रही है. खास बात यह है कि इन दोनों मामलो में अवैध शराब के कारोबारी फरार हो गए और अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
पुलिस शराबबंदी को सफल बनाने के लिए डाल-डाल चलती है तो तस्कार पात-पात. यही वजह है रोज नए-नए हथकंडे शराब की तस्करी में अपनाए जा रहे हैं. अवैध शराब के धंधे में मुनाफा इतना है कि कानून के तमाम कड़े प्रावधानों के बावजूद कुछ लोग इस जोखिम को लेने में हिचक नहीं रहे. कोर्ट से जमानत हासिल करने की प्रक्रिया आसान होने की वजह से भी तस्कारों में कानून का भय नहीं दिख रहा है.