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'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-6

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासी तस्‍वीर पल-पल बदलती जा रही है. ऐसे ही राजनीतिक समीकरणों के पीछे की थ्‍योरी तलाश रही है 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' की छठी किस्‍त...

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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की सियासी तस्‍वीर पल-पल बदलती जा रही है. ऐसे ही राजनीतिक समीकरणों के पीछे की थ्‍योरी तलाश रही है 'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' की छठी किस्‍त...

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1. 'दरभंगा में बीजेपी के कीर्ति आजाद और राजद के अली अशरफ फातमी के बीच सीधी लड़ाई है. दरभंगा में ब्राह्मण और मुसलमान बराबर हैं और जितने यादव हैं उतने ही बनिया मतदाता. मुसलमानों का वोट यहां 25 फीसदी के करीब है. लड़ाई कांटे की है, लेकिन दरभंगा का चुनाव पिछले कई बार से ध्रुवीकरण की तरफ अग्रसर हुआ है जिसके लिए हाल की कुछ घटनाएं भी जिम्मेवार हैं. दरभंगा के चुनाव में राजद का आधार वोट भी बंट जाता है. हाल के सालों में दरभंगा बीजेपी के गढ़ के रूप में उभरा है और शहनवाज हुसैन भी यहां से लड़ने के इच्छुक बताए जाते हैं. हालांकि उनकी संभावना कम ही है, क्योंकि यहां से बीजेपी का सिटिंग एमपी है. ऐसे में जेडी-यू के बड़े दिग्गज भी यहां से चुनाव नहीं लड़ना चाहते. लड़ाई साफ तौर पर बीजेपी-राजद के बीच है और बीजेपी का पलड़ा भारी दिखता है.'

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2. 'मधुबनी से बीजेपी के मौजूदा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ही उम्मीदवार रहेंगे, यों उनकी उम्र बहुत ज्यादा है. कांग्रेस से शकील अहमद फिर से लड़ सकते हैं. राजद से गठजोड़ के बाद उम्मीद मजबूत हुई है. पिछले चुनाव में लालू ने आखिरी घड़ी में मधुबनी से अब्दुल बारी सिद्दिकी को मैदान में उतारकर शकील और कांग्रेस को उनकी सही जगह बता दी थी! इधर जेडी-यू से ललित नारायण मिश्र के सुपुत्र और जाले के विधायक विजय मिश्र कोशिश कर रहे हैं. मिश्र, बीजेपी के बागी विधायक हैं और इस त्रिकोणीय लड़ाई में फायदा उठाना चाहते हैं. मधुबनी सीट पर मुसलमान, यादव और ब्राह्मण लगभग बराबर संख्या में है और उसके बाद मंडल और पासवान है. अगर जेडी-यू ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतार दिए तो कांग्रेस यहां फाइट में रह सकती है.'

3. 'झंझारपुर से पिछली बार जेडी-यू के मंगनीलाल मंडल जीते थे, पार्टी ने निलंबित कर दिया, अबकि लालू की पार्टी से लड़ने की संभावना है. जेडी-यू से फिलहाल नीतीश के करीबी संजय झा ताल ठोक रहे हैं जबकि बीजेपी से दो उम्मीदवारों की दावेदारी है. बेनीपट्टी के विधायक विनोद नारायण झा और विधान पार्षद बालेसर सिंह भारती. बीजेपी सन 1991 के बाद पहली बार यहां से चुनाव लड़ेगी. परिसीमन के बाद झंझारपुर में कोईरी मतदाता ठीक-ठाक तादाद में हो गए हैं और बालेसर भारती की दावेदारी इसी वजह से है, यों वे पुराने संघी हैं. झंझारपुर में यादव और ब्राह्मण बराबर संख्या में हैं उसके बाद मुसलमान, क्योट-धानक और दलित समूह हैं. मंडल युग के बाद से यहां यादवों का इतिहास रहा है. मंगनीलाल मंडल(धानुक) इकलौते अपवाद हैं. परिसीमन के बाद से वैश्य समूह और कोइरी की आबादी बढ़ी है-और बीजेपी का आत्मविश्वास उफान पर है. ऐसे में लड़ाई राजद और बीजेपी में होगी, क्योंकि थोक वोट राजद या बीजेपी के पास ही है.'

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'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-1
'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-2

'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-3
'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-4
'बिहार डायरी बिफोर इलेक्‍शन' पार्ट-5

(यह विश्लेषण स्वतंत्र पत्रकार सुशांत झा ने लिखा है. वह इन दिनों ‘बिहार डायरी बिफोर इलेक्शन’ के नाम से ये सीरीज लिख रहे हैं.)

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