बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी में फिलहाल भीषण बाढ़ का खतरा टल गया है. नेपाल में सुनकोसी के पास जहां भूस्खलन हुआ था, वहां जमा हुए पानी को अवरोधकों में बनाए गए तीन छेदों को और चौड़ा कर धीरे-धीरे छोड़ा जा रहा है. इस कारण अचानक जल-प्रलय जैसी हालत बनने की आशंका अब नहीं है. क्षेत्र से आबादी को हटाने का काम भी रोक दिया गया है.
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ब्यास जी ने मंगलवार को बताया कि सुनकोसी में अवरोधकों में बनाए गए छिद्रों को और चौड़ा किया गया जिससे लगातार जल निकासी होती रहेगी, मगर भयंकर बाढ़ का खतरा अब नहीं है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में कोसी का जलस्तर 1.15 लाख क्यूसेक है तथा केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 10 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा पानी जमा नहीं है, गहराई 40 मीटर है.
उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि अगले 24 घंटे के दौरान स्थिति में कोई खास बदलाव की संभावना नहीं है. परंतु सरकार किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीम तथा सेना के जवान संभावित बाढ़ वाले क्षेत्र में तैयार रहेंगे.
उन्होंने बताया कि सहरसा, सुपौल और मधेपुरा में भी अब लोगों को घरों से बनाए गए शिविरों तक लाने का कार्य रोक दिया गया है. इससे पहले दरभंगा, मधुबनी, भागलपुर और खगड़िया जिले में भी लोगों को शिविर तक लाने का कार्य रोक दिया गया था.
उन्होंने हालांकि कहा कि जब तक नेपाल में भूस्खलन स्थल पर जल जमा है तब तक आपदा को टला हुआ नहीं माना जा सकता. इस बीच कोसी के जलस्तर में कमी होने के कारण बिहार के नौ जिलों में संभावित बाढ़ के खतरा जहां कम हुआ है, वहीं एहतियात के तौर पर वीरपुर बैराज के खोले गए गेटों को भी अब बंद किया जा रहा है.
वीरपुर बैराज के अधीक्षण अभियंता विष्णुकांत पाठक ने बताया कि खतरे वाली अब कोई बात नहीं है. स्थिति सामान्य है. उन्होंने कहा कि कोसी में जलस्तर बढ़ने की आशंका के मद्देनजर रविवार को वीरपुर बैराज के सभी 56 गेटों को खोल दिया गया था. इनमें से 24 गेटों को अब बंद कर दिया गया है.