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बिहार में पिछले साल से कम बारिश, सूखे से निपटने की तैयारी में सरकार

जिस वक्त मई में उत्तर भारत में गरमी पड़ती है उस वक्त बिहार में सामान्य तौर पर 51.0 मिलीमीटर बारिश हो जाती है. परंतु इस साल अब तक मात्र 32.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. ऐसे में राज्य में सूखा पड़ने की आशंका है जिसके लिए बिहार सरकार ने कमर कस ली है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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देश के कई हिस्सों में गर्मी का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है जिसके कारण लोगों को हर तरह से परेशानी झेलनी पड़ रही है. गर्मी के बाद कई राज्यों में कम बारिश का अनुमान रहने की वजह से सूखे की आशंका भी जताई जा रही है. मई के महीने में उत्तर भारत में गर्मी पड़ती है और उस वक्त बिहार में सामान्य तौर पर 51.0 मिलीमीटर बारिश हो जाती है. लेकिन इस साल अब तक सिर्फ 32.9 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. ऐसे में राज्य में सूखा पड़ने की आशंका है जिसके लिए बिहार सरकार ने कमर कस ली है.

आईएएनएस की खबर के मुताबिक सूखे से निपटने के लिए बिहार सरकार ने जलस्रोतों को ठीक कराने का कार्य शुरू कर दिया है. आपदा प्रबंधन विभाग का मानना है कि बिहार में सूखा और बाढ़ लगभग हर साल की समस्या है. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग इन समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहता है. उनके मुताबिक राज्य में 30 से 35 हजार हैंडपंपों की मरम्मत जल्द से जल्द कराई जाएगी. साथ ही सभी जलाशयों का उचित प्रबंधन करने का निर्देश भी दिया गया है.

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बिहार सरकार ने मनरेगा योजना के तहत राज्य के सभी पंचायतों में सार्वजनिक भूमि पर स्थित तालाब, आहर, पाइन और चेक डैम की मरम्मत कराने का फैसला लिया है. इसके साथ ही जल संरक्षण के लिए ग्रामीण सड़कों के किनारे वृक्षारोपण भी कराया जाएगा. मरम्मत की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास विभाग को सौंपी गई है साथ ही सभी जिलाधिकारियों को ऐसे जलस्रोतों को ढूढ़ने और चिन्हित करने का निर्देश दिया है जिन्हें मरम्मत की जरूरत है. ग्रामीण विभाग को कुल 1943 ग्रामीण सड़कों पर 5,754 किलोमीटर लंबाई में पेड़ लगाने हैं. सरकार ने इस योजना को 15 अगस्त तक पूरा करने का आदेश दिया है.

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के मुताबिक राज्य के 25 जिलों के 280 प्रखंड पहले से ही सूखाग्रस्त चिह्नित हैं. इन सभी प्रखंडों में पानी का उचित प्रबंध और कमी दूर करने के लिए अधिकारियों को हर संभव प्रयास करने का आदेश दिया गया है. कई जिलों में टैंकरों से भी पानी पहुंचाने के इंतजाम किए गए हैं. 

राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के मंत्री विनोद नारायण झा ने माना कि पिछले साल भी सूखा पड़ जाने के कारण और इस साल भी अपेक्षित बारिश न होने के कारण ही पेयजल की समस्या बनी है. हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी तैयारी पहले भी थी और आज भी है. इस वर्ष नल-जल योजना के तहत घरों तक पेयजल पहुंचाने का काम किया जा रहा है और जहां पेयजल नहीं पहुंच सकता वहां टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है. सूखे की आशंका को देखते हुए विभाग कई योजनाओं पर कार्य कर रही है.

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सूखे की स्थिति को देखते हुए पशु संसाधन विभाग और कृषि विभाग ने भी तैयारी शुरू कर दी है. सूखे के दौरान पशुओं को पानी की किल्लत न हो इसके लिए अभी 149 'कैटल ट्रफ' बनाया गया है. कृषि विभाग के अधिकारी के मुताबिक 25 सूखाग्रस्त जिलों में अब तक 14.31 लाख से ज्यादा किसानों को बिहार फसल सहायता योजना और कृषि इनपुट सब्सिडी से लाभ दिया गया है.

पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि विभाग, जल संसाधन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग, ऊर्जा विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से संभावित सूखे की स्थिति से निपटने के संबंध में समीक्षा बैठक भी की थी.

वहीं पिछले वर्ष के सूखे के कारण चावल के उत्पादन में भी कमी की संभावना दिख रही है. विभाग के मुताबिक 2017-18 में बिहार में चावल का उत्पादन करीब 80.93 लाख टन हुआ था जबकि 2018-19 में करीब 62.42 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है. हालांकि अब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आई है.

बहरहाल, एक बार फिर बिहार में सूखे की आशंका को लेकर सरकार तैयारी में जुट गई है. देखना होगा कि सरकार के प्रयासों का फल किसानों को कितना मिल पाता है.

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