scorecardresearch
 

कुदरत के कहर में डूबा डुमरी पुल, खगड़िया में पसरी त्रासदी

बिहार में सैलाब का कहर जारी है. कोसी की बेकाबू धारा अट्टालिकाओं को जमींदोज कर रही है, तो उफनती बागमती इलाके की लाइफ लाइन पुल को बहा ले गई. जी हां, बिहार के खगड़िया में कुदरत ने ऐसा ही कहर ढाया है.

Advertisement
X
कोसी को यूं ही बिहार का शोक नहीं कहा जाता
कोसी को यूं ही बिहार का शोक नहीं कहा जाता

बिहार में कुदरत का कहर जारी है. कोसी की बेकाबू धारा अट्टालिकाओं को जमींदोज कर रही है, तो उफनती बागमती इलाके की लाइफ लाइन पुल को बहा ले गई. जी हां, बिहार के खगड़िया में कुदरत ने ऐसा ही कहर ढाया है.

Advertisement

जन्हा कोसी और बागमती नदी की तेज धारा में डुमरी स्टील पुल बह गया. इससे खगड़िया समेत कोसी प्रमंडल का राजधानी समेत बड़े शहरों से सड़क मार्ग से सीधा सम्पर्क टूट गया है. इलाके में त्राहिमाम की स्थिति उत्पन हो गई है.

गौरतलब है कि सहरसा–महेशखूंट नेशनल हाइवे 107 के बीच डैमेज पड़े डुमरी पुल की जगह स्टील पाइल पुल बनाया गया था. 17 करोड़ की लागत से तीन साल पहले बना पुल मंगलवार को पानी के दबाव के कारण बह गया. हालांकि जान-माल की कोई क्षति नहीं हुई है.

डुमरी पुल के नाम से मशहूर बी. पी. मंडल सेतु को कोशी इलाके का लाइफ लाइन माना जाता था. इसके जरिए खगड़िया, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा जिले के लोग पटना समेत बड़े शहर को आते जाते. पुल को क्षतिग्रस्त हुए 4 साल से अधिक हो गया, लेकिन पुनर्निर्माण का काम अब तक शुरू नहीं हुआ. पुल के पुनर्निर्माण के लिये 50 करोड़ राशि की मंजूरी भी केंद्र की पिछली सरकार ने दे दी. मगर टेंडर के पेंच में मामला अटका रहा.

Advertisement

कोसी इलाके की परेशानी को देखते हुए बिहार सरकार ने डैमेज पड़े इस डुमरी पुल की जगह तीन साल पहले स्टील पुल बनाया. जिसे मंगलवार को पानी का बहाव ले डूबा. कोशी इलाके के लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है. स्थानीय निवासी सुभाष चंद्र जोशी के मुताबिक 'लोगों को आवागमन से लेकर दोहरी महंगाई की मार भी झेलनी होगी. राजधानी समेत बड़े शहरों से संपर्क टूटने से गंभीर रोगी इलाज के अभाव में दम तोड़ देगा.'

स्थानीय किसान अनिल यादव ने कहा, 'कोशी इलाके की आबादी अब भी खेती पर निर्भर करती है. किसान सूद ब्याज लेकर रवि की फसल उगाते है. मनमाफिक दाम मिलने के इंतजार में लोगों ने अनाज घर में ही रखे थे. लेकिन स्टील पुल टूटने से किसान अनाज औने पौने दाम में बेचने को मजबूर हो गए हैं.'

Advertisement
Advertisement