नेपाल में भारी बारिश और वहां से छोड़े जा रहे पानी ने बिहार में जलप्रलय जैसे हालात पैदा कर दिए हैं. बिहार के दर्जनभर जिलों में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है. अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है. 25 लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ की चपेट में है. बाढ़ से मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण और दरभंगा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया. बिहार के जिन इलाकों में बाढ़ का सबसे ज्यादा असर है, उनमें अररिया, किशनगंज, सुपौल, दरभंगा, शिवहर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया और सहरसा जिला शामिल हैं. आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 77 प्रखंडों की 546 पंचायतों के 25 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से अब तक 24 लोगों की मौत हो गई है. मुख्यमंत्री ने लगातार दूसरे दिन बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया.
समस्तिपुर रेल मंडल के दरभंगा-सीतामढ़ी रेल खंड पर मंगलवार मध्य रात्रि 01:50 बजे सूचना मिली कि कमतौल-जोगियारा के बीच बाढ़ का पानी रेल पुल संख्या 18 के खतरे के निशान को पार कर गया है. रेल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तत्काल रेल परिचालन रोक दिया गया है. जलस्तर की निगरानी की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने सोमवार को अररिया जिले के फारबिसगंज, सिकटी, पलासी, जोकीहाट, किशनगंज जिले के ठाकुरगंज, कोचाधामन, टेढ़ागाछ और कटिहार जिले के बलरामपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का विस्तृत हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया. इसके बाद पूर्णिया के चूनापुर हवाईअड्डे पर पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज जिले के जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ और बचाव-राहत कार्य के बारे में विस्तृत समीक्षा की.
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेज करने का निर्देश दिया है. ग्रामीण कार्य विभाग और पथ निर्माण विभाग के अधिकरियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लेने और संपर्क से कटे हुए स्थानों की संपर्कता तुरंत बहाल करने का निर्देश दिया है. हवाई सर्वेक्षण के दौरान मुख्य सचिव दीपक कुमार, जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार भी साथ थे.
इस बीच नेपाल से आने वाली नदियों का जलस्तर बढ़ता देखा जा रहा है. बिहार जल संसाधन विभाग के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने सोमवार को बताया कि बागमती ढेंग, सोनाखान, डूबाधार, कनसार और बेनीबाद में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, वहीं कमला बलान नदी जयनगर और झंझारपुर में और महानंदा ढेंगराघाट और झावा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.
मुजफ्फरपुर जिले में बागमती के उफानाने से कटरा और औराई में बाढ़ ने भयावह रूप ले लिया है. दो हजार से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. पूर्वी चंपारण के नए इलाकों में पानी तेजी से घुस रहा है. सुपौल में भी नए क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुस गया है. बाढ़ से सीतामढ़ी के गांवों की स्थिति और बदतर हो गई है. सीतामढ़ी के कई गांवों के बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि अभी तक राहत और बचाव कार्य शुरू नहीं किया गया है. शिवहर में भी बाढ़ से लोगों का बुरा हाल है. कई शहरी इलाकों में भी पानी घुस चुका है. अररिया और किशनगंज में भी बाढ़ का पानी नए क्षेत्रों में फैल रहा है.