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बाढ़ का पानी घटा पर लोगों की मुश्किलों में नहीं आई कमी, राहत और बचाव जारी

मंगलवार को झंझारपुर के नरूआहा पंचायत में पहुंची जहां पर बाढ़ से सबसे ज्यादा क्षति पहुंची है. ऐसा लगता है कि इस पंचायत के सभी गांव पूरी तरीके से जल समाधि ले चुके हैं.

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झंझारपुर के नरूआहा पंचायत क्षेत्र
झंझारपुर के नरूआहा पंचायत क्षेत्र

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मधुबनी जिले का झंझारपुर अनुमंडल कुदरत के सैलाब की वजह से बुरी तरीके से प्रभावित हुआ है. बाढ़ की विभीषिका ने पूरे झंझारपुर अनुमंडल को जलमग्न कर दिया है. हालांकि, राहत की बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से इलाके में तांडव मचाने के बाद कमला बलान नदी का जलस्तर अब कम होने लगा है.

इसी दौरान आजतक की टीम मंगलवार को झंझारपुर के नरूआहा पंचायत में पहुंची जहां पर बाढ़ से सबसे ज्यादा क्षति पहुंची है. ऐसा लगता है कि इस पंचायत के सभी गांव पूरे तरीके से जल समाधि ले चुके हैं. कई कच्चे मकान पानी में बह गए हैं तो पक्के मकानों के अंदर पानी का कब्जा हो गया है. मंदिर हो या फिर स्कूल, हर तरफ पानी का ही बसेरा है.

2 दिन पहले नरूआहा में कमला बलान नदी पर बने तटबंध का एक हिस्सा पानी में बह गया, जिसके बाद पंचायत पूरी तरीके से जलमग्न हो गई. एनडीआरएफ और एसटीआरएफ की टीम लगातार इलाके में नाव चला कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का काम कर रही है.

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एनडीआरएफ की टीम के साथ जब आजतक की टीम नरूआहा गांव पहुंची तो देखा कि ज्यादातर मकान पानी में बह गए हैं. लोग अपनी जान बचाने के लिए पक्के मकानों के छत पर अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों ने शिकायत की क्योंकि उनका गांव राष्ट्रीय राजमार्ग 57 से काफी दूर है. इसी वजह से वहां पर उन्हें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल पा रही है.

बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 57 से सटे गांव के लोग अपनी जान बचाने के लिए राजमार्ग पर ही अपना बसेरा बना चुके हैं और ज्यादातर मदद उन्हें ही मिल रही है. इसी दौरान एनडीआरएफ की टीम ने ऐसे दो बाढ़ पीड़ितों का रेस्क्यू किया जो पिछले 4 दिन से फंसे हुए थे. इन दो युवकों को सुरक्षित निकालकर एनडीआरएफ की टीम ने इन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग 57 पर पहुंचाया.

बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाने के लिए मधुबनी प्रशासन ने राष्ट्रीय राजमार्ग 57 पर कई जगह सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की है जहां पर बाढ़ पीड़ितों को खाना खिलाया जा रहा है. बाढ़ पीड़ितों को दवा आदि मुहैया कराने के लिए चिकित्सा कैंप भी चलाए जा रहे हैं.

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