बिहार समेत चार राज्यों पर पानी ने कहर बरपाया है. बाढ़ से बेदम हो रहे हैं बिहार, बंगाल, असम और उत्तरप्रदेश. इन चारों ही राज्यों में कभी धरती की नदियां फुफकार रही हैं तो कभी आसमां के बादल बरस रहे हैं. बिहार में बाढ़ से मरने वालों का आंकड़ा 253 पहुंच गया है.
चार राज्यों में आई बाढ़ में, सबसे बुरा हाल बिहार का है. बिहार के अठारह जिले जलप्रलय की मार खा रहे हैं. दो सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों बेघर हैं. राहत और बचाव की कोशिशें चल रही हैं लेकिन इतनी बड़ी आबादी को राहत पहुंचाने में उनके प्रयास नाकाफी हैं.
सौ-सौ तरंगें उठ कर घूमती एक दूसरे से टकराती बह रही हैं. पानी का पहाड़ एक दूसरे को लांघ रहा है और मैदान रसातल में जा रहे हैं. बिहार ठहर गया है. बस ठहर कर जल के इस प्रलय प्रवाह को देख रहा है, जो चेतन है वो जड़ हुआ जा रहा और जो जड़ है उसे पानी बहा कर ले जा रहा है. मधुबनी जिले के 329 गांवों की दुर्गति है. पांच लाख से ज्यादा लोग दरबदर हैं, न घर सलामत है, न खेत. खलिहान. न सड़कें बची हैं, न मैदान. जहां आसरा मिल रहा है, वहीं टिक गए हैं.
बिहार में जल प्रलय ने ऐसा तांडव मचाया है कि मौत का आंकड़ा हर रोज नए पैमाने तय कर रहा है. आसमान से गिरती बारिश की बूंदें हल्की पड़ी हैं धरती पर बहने वाली नदियों के जोश में कोई कमी नहीं है, तभी तो बिहार में बाढ़ से मरने वालों का तादाद 200 पार जा पहुंची है. बिहार में आया मौजूदा बाढ़ सदी के सबसे भयानक जल त्रासदी में से एक माना जा रहा है.
दरभंगा में तो एक परिवार पर उस वक्त पहाड़ टूट पड़ा जब घर का जवान बेटा बाढ़ में सेल्फी के चक्कर में डूब गया. पहले से पानी का प्रहार और अब मौत का मातम. बिहार में बाढ़ से अबतक 18 जिले प्रभावित हो चुके हैं. तकरीबन पूरा का पूरा उत्तर और पूर्वी बिहार पानी से लबालब है. अकेले दरभंगा शहर के आसपास ही 10 लोगों की मौत हो चुकी है, शहर की सड़कों पर नाव चल रही है.
हालांकि इन्हीं में से एक नाव में बाढ़ का मुआयना करने निकले वहां के MLA साहब भी पानी में जा गिरे. गनीमत था कि पानी ज्यादा गहरा नहीं था. कटिहार की तस्वीरें बता रही हैं कि प्रलयकारी बाढ़ में सबसे ज्यादा बच्चे ही प्रभावित हुए हैं. बच्चे भूखे रहने को मजबूर हैं. बर्बाद हो चुके आशियाने के बाद ना ही पीने को दूध है और ना खाने के लिए भोजन. सरकारी राहत जरुर मिल रही है लेकिन वो मुकम्मल नहीं.
बाढ़ के पानी से सड़क, खेत, खलिहान, बागान, बाजार, रेलवे स्टेशन औऱ पटरियां सब डूबी हुई हैं. समस्तीपुर दरभंगा रेलखंड पर बाढ़ की वजह से रास्ता बंद है. 4 ट्रेनें रद्द हैं और कई ट्रेनों का रूट बदला गया है, जिले के 50 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. जिला मुख्यालय से सड़क सम्पर्क टूटा हुआ है. बर्बादी और तबाही के इस मंजर के बीच उम्मीद यही है कि अगले चंद दिनों में हालात में सुधार होगा जिससे लाखों लोगों को राहत नसीब होगी.
पश्चिम बंगाल में भी बाढ़ का प्रकोप
पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में भी बाढ़ से हालात खराब हैं. मालदा जैसे जिले में तो गंगा उफान पर है और लोग प्रार्थना में जुट गए हैं ताकि गंगा मइया अपना ताप कम कर ले और लोग राहत ले सकें. बाढ़ का एक असर जरूरी चीजों की आपूर्ति पर पड़ा है. बंगाल के मालदा जिले में 10 लाख लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. लेकिन राहत और बचाव का काम सुस्त पड़ा है. लगभग ना के बराबर. जब सरकार और प्रशासन सोया पड़ा हो तब आम जनता क्या करें.उसके पास देवी देवताओं की शरण में जाने का सिवा कोई और चारा नहीं है वो मां की शरण में है। लोग गंगा मां से ही प्रार्थना कर रहे हैं कि वो अपना ताप कम कर ले.
बाढ़ का असर बंगाल के दूसरे जिलों मे भी दिख रहा है. तबाही ने आवाजाही का गला घोंट दिया है, सड़कें बंद हैं. पुल टूटे हुए हैं. रेल रुकी है. जरूरत के सामान भी बड़ी मुश्किल से पहुंच रहे हैं. साग सब्जियों के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं. कुल मिलाकर बंगाल के कई जिलों की जान सांसत में है. नीचे नदियां हुंकार भर रही है, ऊपर बादल गरज रहे हैं और बीच में इंसान मर रहे हैं. कुदरत ने अपनी ताकत के आगे इंसानी शक्तियों को विवश कर दिया है.