बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने श्रीराम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया और उन्हें काल्पनिक करार दे दिया.
मांझी ने कहा कि श्रीराम कोई जीवित या महापुरुष व्यक्ति थे, ऐसा वह नहीं मानते हैं मगर उन्होंने स्वीकार किया कि रामायण में ऐसी बहुत सारी ज्ञान की बातें हैं जो जीवन में अनुसरण करने योग्य हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि रामायण में ऐसी कई बातें, श्लोक और संदेश हैं जो किसी भी व्यक्ति के निर्माण में उपयोगी साबित हो सकता है. मांझी ने कहा कि रामायण में महिलाओं का सम्मान और बड़ों का आदर करना जैसी बहुत सारी बातें हैं जो किसी के व्यक्तित्व निर्माण में काम आती है.
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मांझी के बयान पर बढ़ा सियासी बवाल
श्री राम के अस्तित्व पर सवाल खड़े करके और उन्हें काल्पनिक बताने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बुरी तरीके से फंस गए हैं. विवादास्पद बयान पर विपक्षी आरजेडी से लेकर सत्ता में सहयोगी बीजेपी तक ने उन पर करारा हमला बोला है. बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी में जीतन राम मांझी पर हमला बोलते हुए कहा है कि जो भी श्री राम के साथ खिलवाड़ करेगा भगवान उसे कभी माफ नहीं करेंगे.
सम्राट चौधरी ने कहा, “इस देश में राम ही आस्था है और केवल राम ही राम है. राम के अलावा इस धरती पर दूसरा कुछ भी नहीं है. मैं 200 फ़ीसदी मानता हूं कि भगवान राम और रामायण को बिहार के स्कूलों में पढ़ाया जाए तो उसका कोई दिक्कत नहीं है. देश में राम ब्रह्म सत्य है. जो भी भगवान राम के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश करेगा, भगवान उसको माफ नहीं करेंगे.”
वहीं दूसरी तरफ आरजेडी ने भी जीतन राम मांझी पर उनके विवादास्पद बयान को लेकर निशाना साधा है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “मांझी बीजेपी से नाराज है इसलिए उन पर निशाना साध रहे हैं. बीजेपी को जवाब देना चाहिए कि आखिर मांझी ऐसा क्यों कह रहे हैं? बीजेपी ने राम के नाम पर राजनीति कर रही है इसीलिए जीतन राम मांझी ने राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. अपने बयान के जरिए मांझी सीधे-सीधे बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं.”
क्या है मामला?
दरअसल, जीतन राम मांझी ने श्रीराम को काल्पनिक बताने वाली बातें मंगलवार को तब कहीं जब उनसे सवाल पूछा गया कि मध्य प्रदेश में जिस तरीके से रामायण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है तो क्या बिहार में भी ऐसा होना चाहिए जैसा कि बीजेपी नेताओं की तरफ से मांग की जा रही है.
एक तरफ तो जीतन राम मांझी ने श्रीराम को काल्पनिक बताने वाली बातें कहीं, वहीं दूसरी तरफ उनकी ओर से इस बात की भी वकालत की गई कि रामायण को बिहार के स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि लोग उससे अच्छी बातें सीख सकें.