scorecardresearch
 

बिहार: गुप्तेश्वर पांडे ने की राजनीति से तौबा, कथावाचक बन सुनाया पूतना और धारा 307 का कनेक्शन

कभी राजनीति में किस्मत आजमाने के लिए नौकरी से VRS लेने वाले बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे अब राजनीति से तौबा करते हुए नज़र आ रहे हैं.

Advertisement
X
कथावाचक बने गुप्तेश्वर पांडे
कथावाचक बने गुप्तेश्वर पांडे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कथावाचक बने पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे
  • अब राजनीति की इच्छा नहीं: गुप्तेश्वर पांडे

कभी राजनीति में किस्मत आजमाने के लिए नौकरी से VRS लेने वाले बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे अब राजनीति से तौबा करते हुए नज़र आ रहे हैं. नौकरी के बाद अब कथावाचक बन चुके गुप्तेश्वर पांडे का कहना है कि अब उनकी राजनीति में बिल्कुल भी इच्छा नहीं है. 

Advertisement

दो बार वीआरएस, फिर कथावाचक...
याद हो कि 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने के इरादे से गुप्तेश्वर पांडे ने उस वक्त नौकरी से वीआरएस ले लिया था, मगर टिकट नहीं मिलने के कारण वह चुनावी राजनीति में नहीं आ पाए. फिर कुछ महीनों के बाद बिहार सरकार ने उनकी नौकरी वापस बहाल कर दी.

फिर 2020 बिहार विधानसभा चुनाव दूसरा ऐसा मौका था, जब एक बार फिर गुप्तेश्वर पांडे ने डीजीपी रहते हुए वीआरएस ले लिया और चुनाव लड़ने के इरादे से जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए. मगर इस बार भी उन्हें टिकट नहीं मिला और राजनीति में उनकी एंट्री हो ही नहीं पाई.

राजनीति में सफलता नहीं मिलने के बाद आजकल गुप्तेश्वर पांडे कथावाचक की भूमिका में नजर आ रहे हैं. गुप्तेश्वर पांडे ने अपनी इस नए भूमिका को लेकर आज तक से एक्सक्लूसिव बातचीत की और कहा कि उनकी बचपन से ही राजनीति में आने की तीव्र इच्छा रही, मगर राजनीति में असफल रहना उनकी किस्मत थी. 

Advertisement

क्लिक करें: 'कथावाचक' बने पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे, बोले- कभी नहीं कहा सुशांत सिंह का मर्डर हुआ

‘औपचारिक तरीके से राजनीति में कभी प्रवेश नहीं हुआ’ 
गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि मैं जब से पैदा हुआ तब से मुझे राजनीति में आने की इच्छा थी. मैं बचपन से जनता से जुड़कर उनकी सेवा करना चाहता था. इसलिए मैंने नौकरी से वीआरएस भी लिया था क्योंकि मैं राजनीति में आना चाहता था. मैं चुनाव लड़ना चाहता था मगर टिकट नहीं मिला जिसके पीछे बहुत सारे दांवपेच भी हैं. मैं मानता हूं कि औपचारिक तरीके से मेरा राजनीति में कभी प्रवेश हुआ ही नहीं. राजनीति में आने का चैप्टर अब बंद हो चुका है. अब मुझे राजनीति करने की थोड़ी भी इच्छा नहीं है.

बता दें कि पिछले दिनों गुप्तेश्वर पांडे एक बार फिर से सुर्खियों में आए. जब उन्होंने कुछ दिन अयोध्या में बिताए और कथा वाचन किया. सोशल मीडिया पर कथा वाचन का वीडियो भी वायरल हो रहा है. उसमें गुप्तेश्वर पांडे लोगों को कानून, हत्या तथा गैर इरादतन हत्या जैसी बातों के बारे में भी समझाते नजर आते हैं.

पूतना और आईपीसी की धारा 307...
अयोध्या के एक कार्यक्रम में पूतना वध की कथा सुनाते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि देश की आईपीसी में किसी की हत्या करने के लिए बम और पिस्तौल एकत्रित करना अपराध नहीं है. हालांकि, अवैध हथियार रखना एक अलग अपराध है, मगर किसी की हत्या करने का इरादा रखना अपराध नहीं है. 

इसी संदर्भ में मैं लोगों को समझा रहा था कि पूतना भगवान कृष्ण की हत्या करना चाहती थी और इसके लिए उसने तैयारी की और उन्हें दूध पिलाया. मगर जब तक उसने भगवान कृष्ण को मारने का प्रयास नहीं किया तब तक वह आईपीसी की धारा 307 की मुजरिम नहीं बनी. एक बार पूतना ने भगवान कृष्ण को मारने का प्रयास कर लिया तो वह आईपीसी की धारा 307 की मुजरिम बन गई.

Advertisement

कथावाचक बनने पर क्या कहते हैं करीबी
गुप्तेश्वर पांडे के कथावाचक बनने के बाद बक्सर में रहने वाले उनके करीबियों के रिएक्शन भी आ रहे हैं. उनके भतीजे अविनाश का कहना है कि उनकी इस नई पारी का हम स्वागत करते हैं, वो हम लोगों के मार्गदर्शक हैं ऐसे में हम लोग उनके साथ हैं.

वहीं, गुप्तेश्वर पांडे के चचेरे भाई विजय कुमार पांडे का कहना है कि अगर वो राजनीति में आते तो गांव का विकास होता, लेकिन अब उनकी मर्जी है जो भी कर रहे है अच्छा ही कर रहे हैं. वहीं, भाई अशोक कुमार पांडे ने कहा कि वो समाज में रहना चाह रहे थे, अब वो कथावाचक बने हैं तो इसमें कोई भी दिक्कत नहीं है. 

 

Advertisement
Advertisement