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गोरक्षकों के लिए मिसाल है नीतीश की गौशाला

मुख्यमंत्री के निर्देश पर पटना साहिब में एक गौशाला का निर्माण किया गया है, जिसमें आवारा गायों की देखभाल की जा रही है. यहां पर करीब 100 लावारिस गायों की देखभाल की जा रही है.

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नीतीश की गौशाला
नीतीश की गौशाला

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोरक्षकों के सामने एक उदाहरण पेश करने की कोशिश की कि सिर्फ भाषण से ही नहीं बल्कि आवारा गायों और पशुओं की सही देखभाल कर उनकी सेवा की जा सकती है. पटना की सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के लिए एक नया आशियाना बनाया गया है.

मुख्यमंत्री के निर्देश पर पटना साहिब में एक गौशाला का निर्माण किया गया है, जिसमें आवारा गायों की देखभाल की जा रही है. यहां पर करीब 100 लावारिस गायों की देखभाल की जा रही है. इन आवारा गायों के गोबर और मूत्र का उपयोग आर्गेनिक खाद बनाने में किया जायेगा.

पटना साहिब में स्थित यह श्रीकृष्ण गौशाला यूं तो वर्षों पुराना है, लेकिन इसी एक हिस्से में आवारा पशुओं खासकर गायों के रहने की व्यवस्था सरकार की तरफ की गई है. ये ऐसी गायें हैं, जो पटना की सड़कों पर आवारा घूमती थीं और सड़क की ट्रैफिक व्यवस्था को भी प्रभावित करती थी.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो महीने पहले पटना के डीएम को निर्देश दिया था कि ऐसी गायों को रखने के लिए एक जगह बनाई जाये. मुख्यमंत्री ने यह निर्णय उस समय गोरक्षा के नाम पर हो रही गुंडागर्दी के मद्देनजर लिया था. अगर गाय की रक्षा ही करनी है, तो इसकी सेवा की जाये.

इस नई व्यवस्था में 100 से ऊपर गायें हैं. ये ऐसी गायें हैं, जो आवारा हैं और इनका कोई वारिस नहीं है. ये दूध भी नहीं देती हैं, लेकिन सरकारी खर्चे पर इनके चारे की व्यवस्था की जा रही है. हांलाकि ऐसी गायों की संख्या यहां 100 से अधिक थी, लेकिन 35 लोगों ने अपनी गायों पर दावा पेश किया, तो उनको इस वादे पर सौंप दिया गया कि वो फिर इन गायों को सड़कों पर आवारा नहीं घूमने देंगे. पटना के डीएम संजय अग्रवाल खुद इस नई व्यवस्था की देखरेख में लगे हैं.

गाय की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है, लेकिन जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो लोग उसे सड़कों पर छोड़ देते हैं. ये गायें प्लास्टिक और कचरा खाकर जीवित रहती हैं. साथ ही सड़क पर यातायात की व्यवस्था को भी प्रभावित करती हैं, लेकिन अब इन आवारा गायों की उपयोगिता भी दिखने लगी है. इनके गोबर और मूत्र से ऑर्गेनिक खाद बनाने की योजना है.

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