बिहार में चमकी बुखार से मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. मुजफ्फरपुर के बाद गया में 6 बच्चों की मौत हो गई है. मौत का यह आंकड़ा 2 जुलाई से अब तक का है. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके प्रसाद ने कहा कि 2 जुलाई के बाद से अब तक 22 मरीजों को भर्ती किया गया है, जिसमें 6 बच्चों की मौत हुई है.
Bihar: 22 children admitted, 6 died at Anugrah Narayan Magadh Medical College in Gaya, since 2nd July. Medical Superintendent says, "It is being told that this might be the case of AES but it is yet to be confirmed, reports are awaited; it will be ascertained after that." (08.07) pic.twitter.com/6FVw8EzdFS
— ANI (@ANI) July 9, 2019
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके प्रसाद का कहना है कि यह एईएस का मामला हो सकता है लेकिन अभी इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है. रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. इसके बाद पता लगाया जाएगा कि आखिर बच्चों की मौत किस कारण हुई है? फिलहाल मरीजों का इलाज चल रहा है.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में चमकी बुखार या एक्यूट इंसेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी से बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है. इस बीच वैशाली जिले के एईएस प्रभावित हरिवंशपुर गांव के लोगों को एईएस के कारण बच्चों की मौत और पेयजल की मांग को लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया लेकिन पुलिस ने गांव के लोगों के खिलाफ भगवानपुर थाने में मामला दर्ज कर लिया.
गौरतलब है कि 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं और मरने वाले बच्चों में से अधिकांश की उम्र एक से सात साल के बीच है. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अब तक 100 से ज्यादा बच्चों की मौत एईएस से हो चुकी है. एसकेएमसीएच में अबतक सैकड़ों बच्चे इलाज के लिए पहुंचे हैं जिनमें कई की मौत हो गई है और कई बच्चों का इलाज चल रहा है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर में एईएस से हो रही बच्चों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सोमवार को कहा कि इसके लिए जागरूकता अभियान की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रभावित गांवों में आर्थिक-सामाजिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है. नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा, "यह बीमारी काफी सालों से इस क्षेत्र में हर साल गर्मी के मौसम में आती है. साल 2015 से ही इस मामले में कई रिसर्च किए जा रहे हैं. सभी विशेषज्ञों की राय अलग-अलग रही है."