बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के स्वैच्छिक रिटायरमेंट (वीआरएस) के बाद आईपीएस अधिकारी एसके सिंघल को बिहार के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. इस संबंध में बिहार सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है. अगले आदेश तक उन्हें यह प्रभार सौंपा गया है. एसके सिंघल की सीवान के डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन को सजा दिलाने में अहम भूमिका रही है.
बिहार के गृह विभाग की तरफ से शनिवार जारी अधिसूचना के मुताबिक 1988 बैच के आईपीएस अफसर एस.के. सिंघल, सुनील कुमार से एडीजी (मुख्यालय) का पदभार संभालेंगे, जिन्हें जनवरी में महानिदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया था. सिंघल को बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) में एडीजी के रूप में नियुक्त किया गया था.
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ के मुताबिक बिहार पुलिस में एडीजी मुख्यालय का पद अहम है क्योंकि डीजीपी के बाद इसे दूसरे नंबर का पद माना जाता है. एसके सिंघल उन 14 आईपीएस अफसरों में शामिल हैं जिनके तबादले किए गए हैं.
सिंघल 1996 में तब सुर्खियों में आए थे जब उन पर सीवान में डॉन-राजनेता शहाबुद्दीन ने हमला किया था. उस दौरान वह वहां पुलिस अधीक्षक (एसपी) के तौर पर तैनात थे. 2007 में एक विशेष अदालत ने शहाबुद्दीन को एसके सिंघल पर हमले के मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी.
एडीजी (मुख्यालय) के रूप में सिंघल की नियुक्ति अहम इसलिए मानी जा रही है क्योंकि शहाबुद्दीन को हाल ही में राज्य सरकार की पहल पर सीवान से दिल्ली की तिहाड़ जेल में ट्रांसफर किया गया था. एसपी के तौर पर 1996 में एसके सिंघल ने शहाबुद्दीन के खिलाफ सीवान के दरौली पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. उनकी सक्रियता और कार्रवाई के चलते आखिरकार शहाबुद्दीन को कोर्ट ने दोषी ठहराया.
पुलिस मुख्यालय में सूत्रों का कहना है कि एसके सिंघल की एडीजी के तौर पर नियुक्ति करके राज्य सरकार जिलों में पुलिस अधीक्षक के तौर पर तैनात अधिकारियों को एक कड़ा संदेश देने की कोशिश की है.