बिहार में बालू को लेकर बवाल जारी है. ट्रांसपोर्टरों ने सोमवार की आधी रात से चक्का जाम कर दिया है. कई जगहों पर ट्रांसपोर्टरों ने सड़क जाम कर आगजनी की. दानापुर, मनेर, कटिहार जैसी तमाम जगहों ने पुलिस के साथ हिंसक झड़प की जानकारी मिल रही है. ट्रांसपोर्टर बिहार सरकार की नई खनिज नीति का विरोध कर रहे हैं. इस नए कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं जो ट्रांसपोर्टरों के लिए जेल जाने के रास्ते को बेहद आसान बनाते हैं. सरकार ने सभी व्यवसायीक वाहनों में जीपीएस लगाने का आदेश दिया है और उनका किराया भी फिक्स कर दिया है.
सारा मामला बालू के उत्खनन को लेकर हुआ है. बालू के अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार ने नया बिहार लघु खनिज अधिनियम 2017 बनाया है. जिसके प्रावधानों को लेकर जबरदस्त विरोध हो रहा है. सरकार ने पुराने सारे टैण्डर रद्द कर दिए हैं, जिसकी वजह से राज्य में बालू की कमी हो गई है. बालू की कमी होने से राज्य में हो रहे निर्माण कार्य भी प्रभावित हुए हैं. मामला पटना हाईकोर्ट भी पहुंच चूका है.
राज्य सरकार द्वारा बिहार लघु खनिज उत्खनन अधिनियम 2017 में कई खामियां उजागर किए जाने के उपरांत पटना हाईकोर्ट द्वारा इसपर रोक लगा दी गई थी. साथ ही साथ पटना हाईकोर्ट ने खनन विभाग के प्रधान सचिव द्वारा अदालती आदेश के बाद भी निर्देश जारी किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. साथ ही प्रधान सचिव द्वारा निर्गत सारे आदेश को निरस्त कर दिया था.
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि जबतक सरकार पुरानी नीतियों को फिर से लागू नहीं करती है तब तक चक्का जाम रहेगा. ट्रांसपोर्ट मालिकों और मजदूरों का आरोप है कि नई नीति की वजह से उनके सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. पिछले महीने भी ट्रांसपोर्टरों ने सरकार की इस नीति के खिलाफ चक्का जाम किया था, लेकिन सरकार ने कोई नोटिस नहीं लिया.