नए साल में बिहार सरकार राज्य के किसानों के लिए एक बड़ी घोषणा करने वाली है. बिहार सरकार ने फैसला किया है कि 2018 में ग्रामीण बैंकों के जरिए सूबे के किसानों को 22920 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया जाएगा.
इस बात की जानकारी उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को ग्रामीण बैंकों के चेयरमैन और वरीय अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद दी.
मोदी ने राज्य के सभी जिलों में शौचालय निर्माण के लिए स्वयं सहायता समूह को प्रति इकाई ₹12000 और नियोजित शिक्षकों को वेतन के आधार पर डेढ़ से दो लाख रुपये व्यक्तिगत कर्ज देने का निर्देश दिया.
किसानों से समय पर कर्ज वापसी की अपील करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि समय से कर्ज वापसी नहीं करने के कारण 90 फीसदी किसानों को भारत सरकार द्वारा 3% और राज्य सरकार द्वारा 1% यानी कुल 4% ब्याज अनुदान का लाभ नहीं मिल पाता है और उन्हें 11 से 12 फीसदी तक ब्याज का भुगतान करना पड़ता है.
सुशील मोदी ने कहा कि ग्रामीण बैंकों की ओर से कुल वितरित किए जाने वाले कर्ज का 65 प्रतिशत किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को दिया जाता है. मोदी ने इस बात को लेकर चिंता जताई की बैंक किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों को एटीएम कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराता है लेकिन सिर्फ 10% से 15% किसान ही इसका उपयोग करते हैं.
सुशील मोदी ने कहा कि बैंकों को मुद्रा लोन के अंतर्गत लोगों को 50 हजार से 5 लाख तक कर्ज देने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि आमतौर पर बैंक स्कीम के तहत 50 हजार का ही कर्ज देते हैं. जिससे किसी व्यापार-धंधा को शुरू करना और चलाना संभव नहीं है.
उपमुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि बिहार में तीनों ग्रामीण बैंक, बिहार ग्रामीण बैंक, मध्य बिहार ग्रामीण बैंक और उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक अपनी 2110 शाखाओं और 5555 बैंक मित्रों के जरिए ग्रामीणों को बैंकिंग सेवा उपलब्ध करा रहे हैं.