बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन (Farmer MP Anand Mohan) को नीतीश सरकार ने बड़ी राहत दी है. राज्य सरकार सरकार ने आनंद मोहन सिंह समेत 27 कैदियों की जेल से रिहाई के संबंध में अधिसूचना जारी की है. आनंद को 1994 में गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. वो आजीवन कारवास की सजा काट रहे थे.
हाल ही में बाहुबली नेता को पैरोल पर रिहा किया गया था. बता दें कि आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद की सोमवार को सगाई है. चेतन आनंद आरजेडी कोटे से विधायक हैं. चेतन की सगाई में शामिल होने के लिए आनंद 15 दिन के पैरोल पर जेल से बाहर हैं. उनकी पैरोल की अवधि 25 अप्रैल को पूरी हो रही है जिस दिन उन्हें वापस सहरसा जेल जाना है. इस बीच, राज्य सरकार ने समय से पहले रिहाई के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद इस बात की संभावना जताई जा रही है कि वह 26 या फिर 27 अप्रैल को सहरसा जेल से बाहर आ जाएंगे.
मायावती ने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था
आनंद मोहन की रिहाई को सुनिश्चित करने के लिए 10 अप्रैल को बिहार सरकार की कैबिनेट बैठक में जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 में संशोधन किया गया, जिसके बाद अब आनंद मोहन के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है. बताते चलें कि आनंद मोहन को जेल से रिहा करने की खबरों को लेकर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने सवाल खड़े किए थे. मायावती ने नीतीश कुमार से सरकार के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था. मायावती ने कहा था कि आनंद मोहन के जेल से रिहा होने की खबरों से देश के दलित समाज में बेहद ज्यादा आक्रोश है क्योंकि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की 1994 में हत्या की गई थी, वो दलित समाज से आते थे और आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) के रहने वाले थे.
37 साल की उम्र में सरकारी काम के दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी जिस मामले में आनंद मोहन को 2007 में कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी मगर पटना हाईकोर्ट ने 2008 में उनके मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.
बिहार में बाहुबलियों का दबदबा रहा है: बीजेपी
वहीं, बिहार सरकार के इस फैसले पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद और यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने आपत्ति जताई है. उन्होंने वीडियो ट्वीट कर राज्य सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा- बिहार की राजनीति में हमेशा बाहुबलियों का दबदबा रहा है. चाहे सीवान का शहाबुद्दीन हो, जिसने नीतीश कुमार को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री कहा था. चाहे वो सूरजभान हो या छोटे सरकार से कुख्यात आनंद सिंह या फिर रामा सिंह, सुनील पांडेय, राजेंद्र तिवारी. उसी में एक नाम आनंद मोहन का है.
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'गोपालगंज डीएम की हत्या में दोषी पाए गए थे आनंद मोहन'
बृज लाल ने आगे कहा- आनंद मोहन सिंह ने 5 दिसंबर 1994 को दलित वर्ग से आने वाले गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैयाह (IAS-1985) की नेशनल हाइवे-28 पर पीट-पीट कर हत्या करवाई थी और फुटकन शुक्ला ने कनपटी पर गोली मारी थी. ट्रायल हुआ तो आनंद मोहन, उनके साथी अखलाक, अरुण कुमार को फांसी की सजा हुई. इनकी पत्नी लवली आनंद सिंह समेत कई लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. आनंद मोहन सुप्रीम कोर्ट तक गए, जहां फांसी की सजा बदल गई. लेकिन आजीवन कारवास की सजा बरकरार रही.
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'नीतीश सरकार ने जेल मैन्युअल में बदलाव किया'
बृज लाल ने कहा- नीतीशजी आपने वो दलित-पिछड़ा विरोधी आनंद मोहन सिंह को अपने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पिता लालू यादव और कांग्रेस नेताओं के कहने पर अपने जेल मैन्युअल में बदलाव किया और आनंद मोहन को जेल से बाहर निकाल दिया. याद है, आनंद मोहन कौन थे? मंडल कमीशन का विरोध करने वाले. उन्होंने मंडल कमीशन के विरोध में बिहार पीपुल्स पार्टी बनाई थी. उनका अपना एक गिरोह था और दलित-पिछड़ों का जो उफान आ रहा था, उनको सबक सिखाने का काम कर रहे थे. ऐसे व्यक्ति को, जो दलित-पिछड़ा वर्ग का विरोधी रहा, जिसने जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या की हो, उसको आपने बिहार निकाला है.
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'दलित समाज माफ नहीं करेगा'
बृज लाल ने आगे कहा- याद रखिएगा नीतीश जी, सिर्फ बिहार ही नहीं, पूरे देश का दलित समाज आपको माफ नहीं करेगा. आपने जरा भी नहीं सोचा कि जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी, बेटी निहारिका और पदमा का क्या होगा. कभी दलित और पिछड़े आपको माफ नहीं करेंगे.
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