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लालू के बेटों की बढ़ी मुसीबत, नीतीश सरकार ने निगरानी विभाग को सौंपी मिट्टी घोटाले की जांच

सुशील कुमार मोदी ने खुलासा किया था कि किस तरीके से तेज प्रताप यादव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पटना के सगुना मोड़ इलाके में अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के निर्माणाधीन मॉल की मिट्टी बिना टेंडर किए हुए 90 लाख रूपय में पटना चिड़ियाघर को बेच दी.

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90 लाख रुपए का मिट्टी घोटाला
90 लाख रुपए का मिट्टी घोटाला

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आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी के लिए एक और नई मुसीबत सामने आई है. नीतीश कुमार सरकार ने 90 लाख रुपए के मिट्टी घोटाले की जांच अब निगरानी विभाग को सौंप दिया है जिस में कथित तौर पर लालू के बड़े बेटे और पूर्व वन एवं पर्यावरण मंत्री तेजप्रताप यादव शामिल है.

इसी साल अप्रैल में, बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने खुलासा किया था कि किस तरीके से तेज प्रताप यादव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पटना के सगुना मोड़ इलाके में अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के निर्माणाधीन मॉल की मिट्टी बिना टेंडर किए हुए 90 लाख रूपय में पटना चिड़ियाघर को बेच दी.

मंगलवार को पत्रकारों को इस बाबत जानकारी देते हुए सुशील मोदी ने कहा कि निगरानी विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह मिट्टी घोटाले की जांच जल्द से जल्द पूरी करके बिहार सरकार को रिपोर्ट सौंप दे.

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चौंकाने वाली बात यह है, इस घोटाले के सामने आने के बाद उस वक्त नीतीश सरकार ने इस पूरे मामले की जांच मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह को सौंपी थी और मुख्य सचिव ने अपनी जांच के बाद तेज प्रताप यादव को क्लीन चिट दे दी थी.

मिट्टी घोटाले का मामला पटना उच्च न्यायालय में भी चल रहा है जहां पर अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर ने जनहित याचिका दायर कर रखी है और इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग उठाई है. 13 अक्टूबर को इसी मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से मिट्टी घोटाले जांच की स्टेटस रिपोर्ट 6 हफ्तों के अंदर मांगी है.

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