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बिहार एक बार फिर बाढ़ की मार झेल सकता है. गंडक नदी के जल स्तर में हो रही अप्रत्याशित बढ़ोतरी की वजह से भयानक बाढ़ की आशंका व्यक्त की जा रही है. वाल्मीकिनगर बैराज से 4 लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़े जाने की वजह से सारण बांध टूटने की आशंका बढ़ गई है. इसे देखते हुए गंडक नदी पर बने सत्तरघाट पुल के अप्रोच रोड को सरकार ने खुद कई जगहों से काट दिया है.
ऐसा इसलिए किया गया है, जिससे पानी को निकलने में दिक्कत न हो. जिस पुल का उदघाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 जून 2020 को किया था, उसी पुल के अप्रोच रोड को उन्हीं की सरकार ने काट दिया है, जिससे गंडक नदी में प्रत्याशित बाढ़ से सारण बांध को बचाया जा सके.
बीते साल 4 लाख से कम क्यूसेक पानी की वजह से यह ब्रिज कई जगह से टूट गया था, जिससे भारी तबाही हुई थी. उसी दौरान सत्तरघाट का अप्रोच रोड भी अपने उदघाटन के कुछ ही दिन बाद टूट गया था. सरकार ने इस बार इस पुल की क्षमता और गंडक नदी से डिस्चार्ज होने वाले पानी का अध्य्यन कराया है.
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ऐसे टाला जा रहा है बांध टूटने का खतरा!
एनआईटी पटना और बिहार सरकार के इंजीनियरों की ओर से किए अध्ययन से पता चला है कि सत्तरघाट के अप्रोच में 810 कटर वॉटर वे बनाया जा सकता है. भविष्य में इस पर पुल बनाया जाएगा लेकिन फिलहाल कई जगह से काटने से बांध टूटने का खतरा टल सकता है.
अध्ययन कमेटी ने एक महीने पहले ही रिपोर्ट सौंप दी है. जाहिर है कि सत्तरघाट पुल के निर्माण के समय गंडक नदी में डिस्चार्ज पानी का सही आंकलन नहीं किया. यही वजह थी कि 300 करोड़ का यह पुल एक साल भी ठीक से नहीं चल पाया, इसे काटना पड़ गया.
बाढ़ की आशंका में पलायन को मजबूर लोग
जून के महीने इतना पानी गंडक में कभी नहीं देखा गया था. लोग बाढ़ की डर से पलायन या ऊंचे स्थानों पर जाने को मजबूर है. जल संसाधन मंत्री ने कहा कि गंडक नदी के जल अधिग्रहण क्षेत्र नेपाल में अत्यधिक पानी बरसने से ये स्थिति हुई है. तकनीक की वजह से हमें इसकी जानकारी पहले मिल जाती है, जिसकी वजह से हम तैयार रहते हैं.
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