बिहार में मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों की तरह अब मुखिया लोगों को भी अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना पड़ेगा. पंचायती राज विभाग ने इस सिलसिले में सभी जिले के डीएम को पत्र लिखकर इस निर्णय पर कार्रवाई का निर्देश दिया है.
निर्देश में केवल पंचायत के मुखिया ही नहीं बल्कि ग्राम पंचायत के सभी प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से 31 दिसंबर तक अपने संपत्ति का ब्यौरा देने को कहा गया है. ग्राम पंचायत में मुखिया, उपमुखिया, प्रखंड प्रमुख, उप प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष शामिल हैं.
इन्हें हर साल अपने चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा जिले के डीएम को देना होगा और जिसकी जानकारी जिले के वेबसाइट पर अपलोड भी किया जाएगा.
सरकार ने यह फैसला ग्राम पंचायतों में फैल रहे भ्रष्टाचार के मद्देनजर लिया है. पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ बडे़ पैमाने पर अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने से विकास कार्यों में बड़ी बाधा आ रही है.
त्रिस्तरीय पंचायत के सभी पदधारकों को अपनी संपत्ति की जानकारी 31 दिसंबर तक देनी होगी. यह नियम 2019 के जनवरी से लागू होगा यानि 31 दिसंबर 2019 तक इनको अपनी संपत्ति घोषित करनी पड़ेगी.
सरकार का यह नियम राज्य के 18 हजार पंचायत प्रतिनिधियों पर लागू होगा, बाद में इसका दायरा बढ़ेगा और उसमें वार्ड सदस्य भी शामिल किए जाएंगे. इस बारे में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृतलाल मीणा ने राज्य के सभी जिले के डीएम को पत्र लिखकर इसकी विस्तृत जानकारी दी है.