बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ही सियासी समर अपने शबाब पर है. सीटों की माथापच्ची और 'एक नेता' पर खींचतान के बीच रविवार को घोषणा की गई है कि प्रदेश में चुनाव से पहले जनता परिवार का विलय नहीं होगा, वहीं सोमवार को राज्य कांग्रेस के प्रमुख अशोक चौधरी ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की. बताया जाता है कि चौधरी ने नीतीश को सीएम बनाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष से समर्थन को लेकर बात की है.
नीतीश कुमार ने भी इस ओर अपनी प्रतिक्रिया दी है. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के साथ उनका समन्वय अच्छा है और वो चाहते हैं कि कांग्रेस जेडीयू के साथ चुनाव लड़े. नीतीश ने आगे कहा, 'हालांकि अभी बाकी लोगों के साथ बातचीत नहीं हुई है. लेकिन कांग्रेस के साथ तालमेल होगा यह निश्चित है.'
इससे पहले, रविवार को जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस बाबत आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा कि अब महाविलय नहीं होगा, लेकिन चुनाव गठबंधन में ही लड़ा जाएगा. यानी जेडीयू और आरजेडी जनता परिवार से इतर गठबंधन की डगर पर हैं. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद 3 जून से जिला स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक शुरू करेंगे और पार्टी का चुनाव अभियान 18 जून से शुरू होगा.
सिंह ने कहा कि बिहार में चुनाव विकास के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा, 'शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और कृषि के क्षेत्र में जितना काम हुआ है, उससे बिहार की तस्वीर बदल गई है.'
कांग्रेस का 'हाथ', जेडीयू के साथ
खबर है कि बिहार के चुनाव के लिए कांग्रेस सत्तारूढ़ जेडीयू को चुन सकती है और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नीतीश कुमार का समर्थन भी कर सकती है. सोमवार को इस बबात बिहार राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने सोनिया गांधी से मुलाकात की और नीतीश के नाम को लेकर दोनों नेताओं के बीच गहन चर्चा हुई. इससे पहले चौधरी बीते दिनों पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं.
कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अशोक चौधरी ने शनिवार को नई दिल्ली में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की है. समझा जा रहा है कि चौधरी ने राहुल को सुझाव दिया है कि अगर आरजेडी-जेडीयू का गठबंधन नहीं होता तो कांग्रेस को नीतीश के साथ जाना चाहिए. पार्टी हाई कमान से भी जेडीयू को प्राथमिकता देने के संकेत मिल रहे हैं.
हालांकि, चुनाव में नीतीश नेता होंगे या नहीं, यह बहुत हद तक आरजेडी-जेडीयू गठबंधन पर निर्भर करेगा, क्योंकि पिछले दिनों के घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि लालू प्रसाद नीतीश को नेता मानने से परहेज कर रहे हैं. जबकि राज्य के कांग्रेस नेताओं का मत है कि अगर आरजेडी-जेडीयू के बीच गठबंधन नहीं भी होता है तो कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ जा सकती है.
किधर डोलेगी मांझी की नैया
गौरतलब है कि राज्य में सितंबर-अक्टूबर में चुनाव होने हैं और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद नीतीश को विधानसभा चुनाव के लिए एक साझा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से हिचकिचा रहे हैं. लालू ने बीते दिनों मांझी को भी जनता परिवार में शामिल करने की बात कही थी. ऐसे में मांझी को लेकर आगे वह क्या रुख अपनाते हैं यह देखने वाली बात होगी. इसके अलावा आरजेडी 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 140 सीटों पर अपना दावा पेश कर रही है, जो जेडीयू को स्वीकार नहीं है.
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के राजेंद्र चौधरी का कहना है कि जनता परिवार के विलय संबंधी सभी फैसले मुलायम सिंह यादव को ही लेने हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में दूसरे दलों के नेताओं से बातचीत चल रही है.