बिहार के जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव के लिए 28 मई को वोट डाले जाने हैं. आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है. इस उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए जदयू और आरजेडी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. हालांकि पेट्रोल और डीजल के बढ़े दामों ने जदयू की चिंता बढ़ा दी है. स्थानीय स्तर पर होने वाले उपचुनाव में पेट्रोल और डीजल के दाम जदयू की नैया को डूबा सकते हैं.
आजतक की टीम ने चुनाव से पहले जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया और लोगों से बात की. 70 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में एक तरफ लोग जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस बात से खफा है कि उन्होंने पिछले साल आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन को धोखा देकर बीजेपी के साथ सरकार बना ली, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतें भी जदयू के खिलाफ उनकी नाराजगी की एक मुख्य वजह है.
यहां की जनता का मानना है कि जिस तरीके से रोजाना पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि हो रही है, उससे गरीब आदमी की कमर टूट गई है. वैसे तो लोगों का गुस्सा इस मुद्दे पर केंद्र की बीजेपी सरकार से है, मगर इसका खामियाजा इन चुनावों में जदयू को उठाना पड़ सकता है, क्योंकि वह बीजेपी की सहयोगी पार्टी है.
जोकीहाट के मतदाता पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कालाधन वापस लाने के वादे, हर एक व्यक्ति के बैंक खाते में 15 लाख जमा करने के वादे और हर साल नौजवानों को दो करोड़ नौकरी देने के वादे जैसे मुद्दे भी उनके जहन में हैं.
इनका कहना है कि इस चुनाव में वो अपना वोट देकर अपने गुस्से को जाहिर करेंगे. इसका मतलब साफ है कि केंद्र सरकार पर लोगों के गुस्से का खामियाजा जदयू को इस विधानसभा उपचुनाव में उठाना पड़ सकता है. अब यह तो वक्त ही बताएगा कि आखिर बीजेपी के साथ आने और तेल की कीमतों के बढ़ने का नुकसान जदयू को कितना उठाना पड़ता है.