बिहार में अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट पर शुरू से ही तस्लीमुद्दीन के परिवार का प्रभाव रहा है. जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र का गठन 1969 में हुआ था. तब से लेकर अब तक यहां कुल 15 बार चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 10 बार तस्लीमुद्दीन के परिवार का कब्जा रहा. 10 में से भी 5 बार तो तस्लीमुद्दीन ही जीते थे. चार बार उनके बड़े बेटे सरफराज ने जीत हासिल की थी. अब छोटे बेटे शाहनवाज ने यहां से जीत हासिल की है.
इस बार तस्लीमुद्दीन के बेटे और राजद प्रत्याशी शाहनवाज आलम ने जदयू प्रत्याशी मुर्शीद आलम को 41 हजार से भी ज्यादा के अंतर से हरा दिया. चुनाव में जहां जेडीयू प्रत्याशी मुर्शीद आलम ने 40015 मत हासिल किए, वहीं शाहनवाज ने दोगुने से भी ज्यादा कुल 81240 वोट हासिल किए.
जोकीहाट विधानसभा सीट पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच कांटे की टक्कर कहा जा रहा था, लेकिन जिस तरह से रिजल्ट आया उससे यह फिर साबित हो गया है कि इस सीट पर आज भी तस्लीमुद्दीन परिवार का तिलिस्म कायम है जिसे फिलहाल किसी के लिए भी तोड़ पाना नामुमकिन लग रहा है. यह सीट मुस्लिम बाहुल्य है. यहां तकरीबन 70 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गई थी तो वहीं तेजस्वी यादव की ख्वाहिश यहां से जीत हासिल कर बड़े नेता के रूप में उभरने की थी, जिसमें वह कामयाब हो गए.
जोकीहाट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कुल 53 प्रतिशत मतदान हुआ. यहां से विधायक सरफराज आलम के पिछले दिनों अररिया संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद इस्तीफा देने से यह सीट खाली हो गई थी. हालांकि यह सीट 2005 से लगातार चार बार जेडीयू के पास रही है.
2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के टिकट पर जोकीहाट विधानसभा सीट से सरफराज विजयी हुए थे. लेकिन बाद में वह अपने पिता और अररिया से राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन से खाली संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए आरजेडी में शामिल हो गए थे और सांसद चुन लिए गए.जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव में इस बार कुल नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे.