बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी आखिर अब क्यों यह खुलकर कह रहे हैं कि वह INDIA गठबंधन के संयोजक नहीं बनना चाहते हैं ? नीतीश कुमार ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि विपक्षी महागठबंधन में संयोजक बनने की जरा भी इच्छा नहीं है. जिसके बाद से राजनीतिक गलियारे में अब इस बात को लेकर चर्चा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कांग्रेस के साथ मिलकर नीतीश कुमार के संयोजक बनने और फिर प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने के सपने पर पानी फेर दिया है.
लालू के बयान में छिपा था संदेश?
पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बयान पर नजर डालें तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए राहुल गांधी के नाम को आगे बढ़ाया है. पटना में भी जब विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई थी तो उस दौरान भी इशारों ही इशारों में लालू ने राहुल गांधी की शादी का जिक्र छोड़ कर उन्हें दूल्हा बनने की बात कही थी. उस वक्त लगा कि लालू ने वह बात हंसी मजाक में कही गई थी मगर अब ऐसा लगता है कि लालू की कहीं उस बात में उसमें बड़ा संदेश छुपा था जहां उन्होंने ने प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए राहुल गांधी के ही नाम को इशारों ही इशारों में आगे बढ़ाया था.
मुंबई में होनी है अहम बैठक
दरअसल, अगस्त 31- सितंबर 1 के बीच I.N.D.I.A. गठबंधन की तीसरी महत्वपूर्ण बैठक मुंबई में होनी है जिसमें विपक्षी दलों के संयोजक को लेकर फैसला लिया जाएगा. इस बैठक में इस बात को लेकर फैसला होगा कि विपक्षी दलों में संयोजक कौन बनेगा. इस बैठक से ठीक पहले जनता दल यूनाइटेड के तरफ से नीतीश कुमार को संयोजक और फिर प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दिया गया है.
एक तरफ जहां कांग्रेस ने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने को लेकर माहौल बनाना शुरू कर दिया है वहीं दूसरी तरफ जनता दल यूनाइटेड के तरफ से भी पार्टी के दो वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार और जमा खान ने भी प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए नीतीश कुमार का नाम आगे बढ़ाया है.
बैठक में तय होगा संयोजक का नाम
मुंबई में विपक्षी दलों की जो बड़ी बैठक होने वाली है उसमें एक संयोजक का नाम तय किया जाएगा और इसका बड़ा मतलब यह भी होता कि चुनाव के दौरान संयोजक ही विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनता, लेकिन लालू ने नीतीश कुमार के सारे सपनों पर यह बयान देकर पानी फेर दिया कि मुंबई की बैठक में एक नहीं बल्कि तीन चार राज्यों को मिलाकर तीन या चार अलग-अलग संयोजक बनाए जा सकते हैं. लालू के मुताबिक के ज्यादा संयोजक इसीलिए बनाए जाएंगे ताकि विपक्ष में राजनीतिक दलों के बीच में बेहतर सामंजस्य बैठाया जा सके.
नीतीश का सपना चकनाचूर?
लालू प्रसाद ने कहा, 'तीन-चार राज्यों के लिए एक संयोजक बनाया जाएगा जो स्थानीय नेताओं के साथ समन्वय बनाएगा और बातचीत करेगा.' अब ऐसे में नीतीश कुमार को एहसास हो गया कि मुंबई की बैठक में जब कई संयोजक का नाम तय किया जाएगा तो उन्हें भी कई संयोजक में से एक संयोजक बनाया जाएगा. जिसका साफ मतलब है कि लालू प्रसाद ने कांग्रेस के साथ मिलकर अपने मास्टर स्ट्रोक बयान से नीतीश कुमार के राजनीति को एक किनारे लगा दिया और उनके प्रधानमंत्री बनने के सपने को सपना ही बना दिया.
नीतीश का बयान
नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा, 'मुझे विपक्षी गठबंधन का संयोजक नहीं बनना है. संयोजक कोई और बनेगा. हमारी कोशिश सब को एक साथ लाने की है.' मुंबई की बैठक से पहले लगातार इस बात की चर्चा हो रही थी कि इस बैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाएगा मगर लालू के बयान से स्पष्ट हो गया है कि नीतीश कुमार ने भले ही विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी मगर लालू ने विदेश के बढ़ते कद को छोटा कर दिया है.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए I.N.D.I.A. गठबंधन केवल एक चेहरे को मोदी के खिलाफ सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष चाहता है कि अलग-अलग चेहरों के साथ वह 2024 लोकसभा चुनाव की लड़ाई लड़े और फिर जब संख्या बल मजबूत होगा तो प्रधानमंत्री का फैसला किया जा सकता है.
बीजेपी का निशाना
नीतीश कुमार के अब संयोजक नहीं बनने के बयान को लेकर बीजेपी अब उन पर निशाना साध रही है और तंज कसते व कह रही है कि लालू प्रसाद ने उनके साथ बड़ा खेल कर दिया है. बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि लालू ने राहुल गांधी को दूल्हा घोषित करके नीतीश कुमार का संयोजक बनने का सपना तोड़ दिया है और अब नीतीश कुमार की बैठक में संयोजक पद की दावेदारी भी नहीं कर सकते हैं.
सुशील मोदी ने कहा, 'राहुल को दूल्हा घोषित कर लालू ने तोड़ा है नीतीश का सपना. मुख्यमंत्री विपक्षी गठबंधन के संयोजक पद की दावेदारी भी नहीं कर सकते. प्रधानमंत्री बनना तो दूर की बात है. लालू भी कभी नहीं चाहेंगे कि नीतीश कुमार को संयोजक या प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया जाए ताकि उनका कद बढ़ जाए.'
बीजेपी का यह भी मानना है कि अगर विपक्षी गठबंधन में नीतीश कुमार को कोई बड़ी भूमिका मिलती तो फिर लोकसभा चुनाव में बिहार महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में नीतीश कुमार आरजेडी से ज्यादा सीटों की मांग करते जबकि मौजूदा समय में नीतीश कुमार बिहार में 44 विधायकों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी के नेता है और आरजेडी के समर्थन से ही उनकी सरकार चल रही है.
लालू की मंशा
एक बात तो स्पष्ट है कि लालू प्रसाद की राजनीति को देखें तो उन्होंने हमेशा कांग्रेस के साथ गठबंधन पर ही भरोसा जताया है और नीतीश कुमार के बार-बार पलटने के रवैया से उन पर लालू प्रसाद रत्ती भर भी भरोसा अब नहीं करते हैं. ऐसे में लालू भी नहीं चाहते थे कि नीतीश कुमार को पक्ष में कोई बड़ी भूमिका मिले.