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LJP के बाद अब कांग्रेस की बारी? जेडीयू का दावा- कई विधायक हैं संपर्क में

जेडीयू के विधान परिषद सदस्य और प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि परिवारिक विवाद के चलते एलजेपी टूटी हुई है, जिसमें जेडीयू की कोई भूमिका नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह जरुर कहा कि कांग्रेस के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू अपनी स्थिति मजबूत करती हुई (फाइल)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू अपनी स्थिति मजबूत करती हुई (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एलजेपी के 5 सांसदों ने पशुपति को चुना नेता
  • बिहार में अब कांग्रेसी विधायक जेडीयू के संपर्क में
  • पिछले साल कांग्रेस को 19 सीटों पर मिली थी जीत

बिहार की सियासत में इन दिनों हर रोज एक नया राजनीतिक उलटफेर हो रहा है. लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में टूट के बाद बिहार कांग्रेस में भी बगावत होने के आसार नजर आने लगे हैं. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के विधान परिषद सदस्य और प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि परिवारिक विवाद के चलते एलजेपी टूटी हुई है, जिसमें जेडीयू की कोई भूमिका नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि जेडीयू अपने खेमे को मजबूत करने के लिए कांग्रेसी विधायकों को अपने साथ मिला सकती है. 

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बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस में सेंधमारी कर विधायकों को जेडीयू के पाले में लाने की चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि कांग्रेस अपने को एकजुट रखने में अब तक सफल रही है, लेकिन अब एलजेपी में पांच सांसदों के बगावत के बाद कांग्रेस विधायकों के टूटने की चर्चा तेज हो गई हैं. जेडीयू के एमएलसी संजय सिंह ने यह कह कर कि कांग्रेस के कई विधायक हमारे संपर्क में है, हलचल बढ़ा दी है. अब यह सवाल भी उठने लगा है कि कांग्रेस के कौन विधायक हैं जो दलबदल करने को तैयार हैं. 

ये भी पढ़ें: नीतीश के इन दो नेताओं ने चिराग की खिसका दी जमीन, पर्दे के पीछे ऐसे चला 'ऑपरेशन LJP'

दरअसल, 2020 का विधानसभा चुनाव जीतकर आने वाले कांग्रेस के 19 विधायकों में 10 तो विशुद्ध कांग्रेसी हैं, लेकिन 9 विधायक ऐसे हैं जिनका इतिहास दल बदलने का रहा है. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो जेडीयू से सियासत करते रहे हैं.

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कभी भी पाला बदल सकते हैं विधायक

माना जा रहा है कि दलबदल करने वाले विधायक कभी भी पाला बदल सकते हैं. इनके अलावा कुछ और विधायक भी हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में जेडीयू नेता व भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी से उनके नजदीकी संबंध है. 

2020 के परिणाम आने के बाद से ही कांग्रेस विधायकों पर डोरे डालने की कवायद हुई थी, लेकिन संख्या बल पूरा ना होने पाने की वजह से तब मकसद अधूरा रह गया था. लेकिन अब एक बार फिर चर्चाएं तेज हो गई हैं. माना जा रहा है कि बिहार में विपक्ष के साथ-साथ जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी की प्रेशर पॉलिटिक्स को कमजोर करने के लिए नीतीश कुमार अपने कुनबे के मजबूत करने में जुट गए हैं. 

साल 2020 की बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए खेमे में जेडीयू को 43, बीजेपी को 74, हम को चार, वीआईपी को चार सीट मिली थी. वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी को 75, कांग्रेस को 19 और वाम दलों को 16 सीट मिली थी. इसके अलावा एआईएमआईएम को पांच और एलजेपी, बसपा ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की थी और एक निर्दलीय विधायक जीता था. हालांकि, बाद में एलजेपी, बसपा और निर्दलीय विधायक ने जेडीयू का दामन थाम लिया है. 

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