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बिहार में सीटों के बंटवारे पर संशय, 'सियासी खीर' पकाने में जुटे उपेंद्र कुशवाहा

लोकसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों को लेकर गंभीर होते जा रहे हैं. बिहार में एनडीए घटक दलों में सीटों का बंटवारा अभी तक नहीं हो सका है और इस कारण वहां 'सियासी खीर' पकाने का दौर जारी है.

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RLSP सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (एएनआई)
RLSP सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (एएनआई)

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अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) एनडीए के साथ रहेगी या फिर महागठबंधन का दामन थामेगी इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. आरएलएसपी सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कई बार इशारों-इशारों में इस बात के संकेत दे चुके हैं कि अगर एनडीए में उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीट नहीं दी जाती तो वह महागठबंधन में जा सकते हैं.

बिहार में सीटों के तालमेल को लेकर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच बातचीत का सिलसिला चल रहा है. ज्यादा से ज्यादा सीट हथियाने को लेकर सबसे ज्यादा रस्साकशी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच देखी जा सकती है.

संभावित फॉर्मूले से नाराजगी

सीटों के तालमेल को लेकर कई तरह के फॉर्मूले भी सामने आ रहे हैं जिनमें से एक फॉर्मूला है कि बीजेपी 40 में से 20 सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी बची 20 सीटों में 12 जदयू को, 6 सीट लोजपा को और 2 सीट आरएलएसपी को दी जाए.

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पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को 3 सीटें दी थी और तीनों पर ही उसकी जीत हुई थी मगर इस बार 2 सीटों की बात सामने आ रही है जिसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा काफी नाराज हैं.

इसी क्रम में बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में मंगलवार को पैगाम-ए-खीर नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कहने के लिए तो इस कार्यक्रम का मकसद समाज में समरसता बढ़ाने का संदेश देना था लेकिन इसका असली मकसद बीजेपी को संदेश देना था कि आरएलएसपी को सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती है तो वह कोई और फैसला ले सकते हैं.

पैगाम-ए-खीर कार्यक्रम में उपेंद्र कुशवाहा ने खुद खीर बनाई और अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को खिलाया.

'खीर' में कई लोगों का योगदान

आजतक से खास बातचीत करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उनके इस कार्यक्रम में जो खीर बनी है, उसके लिए दूध यदुवंशियों ने दी है, चावल कुशवाहा जाति, चीनी ब्राह्मण समाज, पंचमेवा अति पिछड़ा जाति के लोगों ने दिया और इसे पवित्र करने के लिए तुलसी दलितों के घर से आया है. इन सब के ऊपर कुशवाहा ने बताया कि खीर खाने के लिए दस्तरखान मुस्लिम समाज ने दिया.

इस कार्यक्रम के जरिए इशारों ही इशारों में बीजेपी पर हमला करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उनके इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद है कि किसी को भी खीर न ज्यादा मिले और न कम यानी कि जिसका जितना हक है उसे उतना मिलना चाहिए.

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JDU से वोट बैंक ज्यादा

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी कई मौकों पर यह दावा कर चुकी है कि उसके पास इस वक्त बिहार में 10% वोट बैंक है जिसमें कुशवाहा, कोइरी और धानुक समाज मौजूद है जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास केवल 2% कुर्मी समाज का वोट बैंक है. पार्टी बीजेपी को यह संदेश देना चाहती है कि ज्यादा वोट बैंक होने की वजह से आरएलएसपी को जदयू से अधिक सीटें मिलनी चाहिए.

यहां यह बताना जरूरी है कि एक महीने पहले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि अगर यदुवंशियों का दूध और कुशवाहा समाज का चावल मिल जाए तो बढ़िया खीर बन सकती है. कुशवाहा के इस बयान का साफ मतलब था कि अगर बीजेपी उन्हें सम्मानजनक सीट नहीं दे सकती है तो वह आरजेडी के साथ गठबंधन कर महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं.

उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान का आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी समर्थन किया था और उन्हें महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया था. हालांकि, कुशवाहा ने उसके अगले दिन ही फिर से यू-टर्न लिया और कहा कि उनके बयान का ऐसा कोई मतलब नहीं था और वह एनडीए में बने रहेंगे.

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