लोकसभा चुनाव से पहले देश में राजनीति गरमा गई है और हर ओर बयानबाजी के साथ-साथ आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने खुद के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग उठाई है? ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्या हो गया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को खुद के खिलाफ ही सीबीआई जांच की मांग उठानी पड़ी है?
दरअसल, मंगलवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के पूर्व नेता नागमणि और प्रदीप मिश्रा पार्टी का दामन छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में शामिल हो गए और इसके बाद एक-एक करके उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी जड़ दिए थे. 2014 में लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ रहे कुशवाहा ने इस बार पाला बदल लिया है और वह राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और जीतन राम मांझी की पार्टियां मिलकर जेडीयू, बीजेपी और लोजपा की एनडीए को टक्कर दे रहे हैं.
सबसे पहले नागमणि ने उपेंद्र कुशवाहा के ऊपर पार्टी के पैसे की हेराफेरी का आरोप लगाया और उसके बाद प्रदीप मिश्रा ने कुशवाहा के ऊपर आरोप लगाया कि कैसे दो मौकों पर उन्होंने कुशवाहा के दिल्ली के संसद में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उनके निजी खाते में ₹90 लाख जमा करवाए.
प्रदीप शर्मा ने कहा कि उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा के लिए पिछले साल गांधी मैदान में शिक्षा सुधार रैली आयोजित की थी जिसमें उनके 55 लाख खर्च हुए. साथ ही प्रदीप शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले 5 सालों में विभिन्न मौकों पर उन्होंने पार्टी के लिए ₹15 करोड़ खर्च किए हैं. प्रदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि उन्होंने विभिन्न मौकों पर उपेंद्र कुशवाहा और उनके परिवार वालों के लिए दुबई, मलेशिया और सिंगापुर में विदेशी दौरों की व्यवस्था की.
हालांकि नागमणि और प्रदीप मिश्रा के आरोपों को खारिज करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने तंज कसते हुए कहा कि दोनों नेता अब जेडीयू में शामिल हो गए हैं इसीलिए उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहकर उनके खिलाफ सीबीआई की जांच करवा देनी चाहिए.
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह खुद चाहते हैं कि उनके खिलाफ जो भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, उसका दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए और सच्चाई जनता के बीच आनी चाहिए.