बिहार महागठबंधन में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों की खींचतान शुरू हो गई है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी मिलकर चुनाव लड़े थे तब आरजेडी 27 सीटों पर और कांग्रेस 12 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. वहीं एक सीट एनसीपी के लिए था, लेकिन इस बार कई और पार्टियां महागठबंधन में शामिल हैं.
मांझी का नया दांव
ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर क्या फॉर्मूला होगा इस पर कोई बातचीत अभी शुरू भी नहीं हुई है. लेकिन बिहार में महागठबंधन के घटक दल में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने 20-20 क्रिकेट के तर्ज पर खेलना शुरू कर दिया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में आधे 20 पर दावा कर जो बाउंसर फेंका है, उससे बिहार की राजनीति गरमा गई है. महागठबंधन नेताओं ने ऑल इज वेल का दावा तो किया है, लेकिन सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा. महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ कई और पार्टियां भी शामिल हैं.
दरअसल, रविवार को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई. बैठक में परिषद के सदस्यों ने पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी से बिहार में लोकसभा की 20 सीटों पर दावेदारी पेश करने की मांग की. बाद में मांझी ने पत्रकारों से कहा कि बैठक में सदस्यों ने अपनी राय रखी. मांझी के इस दावे पर सियासत गरमा गई है.
महागठबंधन नेताओं ने दी प्रतिक्रियाएं
महागठबंधन नेताओं की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा है कि मांझी कई बार कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए ऐसे बयान देते हैं. अगर उनके पास इतने उम्मीदवार हैं तो हम इतनी सीटें देंगे. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में कोई मतभेद नहीं है. मांझी महागठबंधन के प्रमुख नेता हैं. ये प्रारंभिक स्तर की चीजें हैं. इस पर महागठबंधन के शीर्ष नेता फैसला करेंगे.
आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मांझी के महागठबंधन में आने से एनडीए को दर्द हो रहा है. इसमें कोई परेशानी नहीं है. हमारे यहां कोई किचकिच नहीं है. मांझी के बयान पर जदयू और भाजपा ने तंज कसे हैं. जदयू के संजय सिंह ने कहा कि मांझी जब नीतीश कुमार के नहीं हुए तो लालू प्रसाद यादव के क्यों होंगे. राजनीति में मांझी पर भरोसा नहीं किया जा सकता.