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बिहार MLC चुनाव: बीजेपी को गंवानी पड़ेगी एक सीट, आरजेडी को हो सकता है फायदा

बिहार की दो विधान परिषद सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, ये दोनों सीटें बीजेपी कोटे की हैं. एक सुशील मोदी के राज्यसभा सदस्य चुने जाने से खाली हुई है तो दूसरी सीट विनोद कुमार झा के विधायक बन जाने से रिक्त हुई है. प्रदेश के मौजूदा विधायकों के संख्या के चलते 28 जनवरी को होने वाले चुनाव में बीजेपी को अपनी एक सीट गवांनी पड़ सकती है, जिसके सीधा फायदा विपक्ष को मिल सकता है. 

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सुशील मोदी, नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
सुशील मोदी, नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिहार की दो एमएलसी सीट पर 28 जनवरी को चुनाव
  • बीजेपी कोटे से रिक्त हुई है दोनों विधान परिषद की सीटें
  • एमएलसी की एक सीट विपक्ष को जीत मिल सकती है

बिहार में विधान परिषद की रिक्त हुई दो सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है. ये दोनों सीटें बीजेपी कोटे की हैं, जिनमें से एक सुशील मोदी के राज्यसभा सदस्य चुने जाने से खाली हुई है तो दूसरी सीट विनोद कुमार झा के विधायक बन जाने से रिक्त हुई है. प्रदेश के मौजूदा विधायकों की संख्या के चलते 28 जनवरी को होने वाले चुनाव में बीजेपी को अपनी एक सीट गवांनी पड़ सकती है, जिसके सीधा फायदा विपक्ष को मिल सकता है. 

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बिहार की दो विधान परिषद सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए 11 जनवरी से 18 जनवरी तक नामांकन प्रक्रिया चलेगी. इसके बाद नामांकन पत्रों की जांच 19 जनवरी को होगी जबकि प्रत्याशियों के नाम वापसी की तिथि 21 जनवरी है. वहीं, अगर दो से ज्यादा प्रत्याशी उतरते हैं तो फिर 28 जनवरी को मतदान होंगे. विनोद नारायण झा की रिक्त होने वाली सीट का कार्यकाल 21 जुलाई 2022 तक रहेगा जबकि सुशील कुमार मोदी की सीट का कार्यकाल छह मई 2024 तक रहेगा. 

बिहार की दोनों एमएलसी का चुनाव विधायकों की संख्या के आधार चुनाव होना है. ऐसे में विधानसभा सदस्यों का गणित ऐसे है कि एक सत्तापक्ष तो दूसरा विपक्ष को जानी तय है. माना जा रहा है कि सत्तापक्ष की ओर से बीजेपी अपने कोई प्रत्याशी उतार सकती है, क्योंकि यह सीट उसके कोटे से खाली हुई है. वहीं, दूसरी सीट के लिए विपक्ष दावेदारी कर सकता है और माना जा रहा है कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते अपना प्रत्याशी उतार सकती है. 

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दरअसल, बिहार में एनडीए को 126 विधायकों का समर्थन हासिल है जबकि महागठबंधन के साथ 110 विधायक और सात अन्य विधायक हैं. बिहार के कुल 243 सदस्यीय विधानसभा में प्रथम वरीयता के कम से कम से कम 122 वोट चाहिए होंगे. ऐसे में बीजेपी अपने सहयोगी जेडीयू, HAM और वीआईपी पार्टी के सहयोग के एक सीट पक्की कर लेगी, लेकिन दूसरी सीट जीतने के लिए उसके पास संख्या नहीं है. ऐसे में विपक्ष एकजुट होकर दूसरी सीट पर अपनी जीत दर्ज कर सकती है, लेकिन उसके लिए आरेजेडी, कांग्रेस, वामपंथी दलों के साथ-साथ अन्य दलों का भी समर्थन जुटाना होगा. 

बिहार में मौजूदा हालत यह है कि कोई भी दल अकेले इस अंक के आसपास भी नहीं है. ऐसे में गठबंधन के सहयोगी दलों का साथ होना जरूरी है. बीजेपी को अपने कोटे की इस सीट को बचाने के लिए जेडीयू की मदद की दरकार होगी जबकि आरजेडी को कांग्रेस के सहारे की जरूरत होगी. माना जा रहा है कि बीजेपी सुशील मोदी वाली सीट को जीतने की कोशिश करेगी, क्योंकि उसका कार्यकाल साल 2024 तक है जबकि विनोद नारायण झा का कार्यकाल साल 2022 तक ही है. 

 

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