बिहार में चमकी बुखार से मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से अब तक 142 बच्चों की मौत हुई है. इसमें श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज में 121 और केजरीवाल हॉस्पिटल में 21 बच्चों की मौत हुई है.
मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या चमकी बुखार से बच्चों की मौत का मुख्य कारण कुपोषण और गरीबी माना जा रहा है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं और वह भी 15 वर्ष तक की उम्र के. इस कारण मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है.
Muzaffarpur:- Death Toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 142 (121 at Sri Krishna Medical College Hospital & 21 at Kejriwal Hospital). #Bihar pic.twitter.com/GbGj4wDaFi
— ANI (@ANI) July 8, 2019
गौरतलब है कि पूर्व के वर्षों में दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के विशेषज्ञों की टीम और पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी यहां इस बीमारी की अध्ययन कर चुकी है. इस बीमारी से प्रभावित जिलों में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जहानाबाद, किशनगंज, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, पटना, पूर्णिया, शिवहर, सुपौल शामिल हैं. मुजफ्फरपुर जिले के बाद पूर्वी चंपारण जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.
माना जा रहा है कि चमकी बुखार या एईएस के प्रकोप की रोकथाम में दवाओं से ज्यादा बारिश कारगर होगी और उन बच्चों के लिए मददगार साबित होगी, जिनका इलाज अभी भी अस्पतालों में चल रहा है. उनकी हालत तेजी से सुधारेगी.