पटना के मोकामा बालिका गृह से 7 लड़कियां फरार नहीं हुईं थीं बल्कि उन्हें फरार कराया गया था. पुलिस की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है. मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि जो लड़कियां मोकामा बालिका गृह से भागी थीं वो साधारण नहीं बल्कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले की गवाह हैं.
सवाल ये उठता है कि जिस हाई प्रोफाईल केस की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई कर रही है तो उसके गवाहों को भगाने वाला कौन है. इन गवाहों को भागने से किसको फायदा होने वाला था. हांलाकि पुलिस ने 7 में से 6 लड़कियों को दरभंगा से बरामद कर लिया है, लेकिन एक लड़की अभी भी नहीं मिली है.
मोकामा के शेल्टर होम से एक साथ फरार हुई 7 लड़कियों में से एक का अभी पता नहीं चल सका है. पुलिस की कई टीमें फरार बालिका का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं और लगातार बिहार, बंगाल में छापेमारी कर रही हैं. गौरतलब है कि 3 दिन पहले मोकामा के बालिका सुधार गृह से एक साथ 7 लड़कियों के भागने के बाद प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया था. हालांकि उसी दिन देर रात तक पुलिस ने छापेमारी करते हुए 6 लड़कियों को बिहार के दरभंगा से बरामद कर लिया था. जबकि पुलिस अभी 7वीं लड़की की तलाश में जुटी है.
पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि जिस ग्रिल को काटकर लड़कियों के भागने की बात संस्था की तरफ से की जा रही थी, उसमें कोई दम नहीं था बल्कि लड़कियां मुख्य दरवाजे से भागी थीं. लड़कियों को भगाने के पीछे की मंशा क्या मुजफ्फरपुर बालिका गृह केस प्रभावित करना था. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, लेकिन जांच में ये बात सामने जरूर आई कि लड़कियां यहां रहना नहीं चाहती थीं. इसको लेकर लगातार उनका विरोध संस्था के अंदर चल रहा था. सबसे बड़ी बात है कि बालिका गृह मामले में फजीहत झेल रहा बिहार सरकार का समाज कल्याण विभाग अभी भी लापरवाही बरत रहा है.