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बिहार में 'नीच' शब्द पर बवाल, उपेंद्र समर्थकों पर पुलिस ने बरसाईं लाठियां

नीतीश कुमार द्वारा उपेंद्र कुशवाहा को नीच कहने के खिलाफ अखिल भारतीय कुशवाहा महासंघ ने पटना में विरोध मार्च निकाला. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुए, जिसमें एक दर्जन लोग घायल हो गए.

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पटना में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने भांजी लाठियां (फोटो- सुजीत झा)
पटना में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने भांजी लाठियां (फोटो- सुजीत झा)

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कथित तौर पर RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को 'नीच' कहने पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. शनिवार को इसके विरोध में अखिल भारतीय कुशवाहा महासंघ ने पटना में राजभवन तक मार्च निकाला. हालांकि जब प्रदर्शनकारी मार्च करते हुए गांधी मैदान के जेपी गोलंबर से डाक बंगला चौराहा पहुंचे और वहां ट्रैफिक जाम किया, तो पुलिस ने उन पर जमकर लाठियां बरसाईं. इसमें एक दर्जन लोग घायल हो गए.

बता दें कि हाल ही में इंडिया टुडे स्टेट कॉन्क्लेव में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था कि बातचीत के स्तर को नीचे मत ले जाइए. इसके बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने उन्हें नीच कहा है. उन्होंने कहा, 'मैं नीतीश कुमार को बड़ा भाई मानता हूं, लेकिन उन्होंने मुझे नीच क्यों कहा? जबकि हम दोनों ही लवकुश समाज से आते हैं.'

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उपेन्द्र कुशवाहा ने यहां तक कहा कि जब तक नीतीश कुमार सार्वजनिक रूप से इस पर अपना स्पष्टीकरण नहीं देंगे, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा. शनिवार को इसी के विरोध में अखिल भारतीय कुशवाहा महासंघ ने पटना में प्रदर्शन किया. इस दौरान नीतीश कुमार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा रहे लोगों पर पुलिस ने जमकर लाठी भांजी.

वहीं, इस मामले में पुलिस ने सफाई देते हुए कहा कि पहले भीड़ की तरफ से पथराव किया गया और बैरिकेडिंग तोड़ी गई. साथ ही ट्रैफिक को काफी समय तक रोका गया. लिहाजा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए मजबूरन लाठी चार्ज करना पड़ा. हालांकि अखिल भारतीय कुशवाहा महासंघ का कहना है कि पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर जानबूझ कर लाठी चार्ज किया, जिसमें एक दर्जन लोग घायल हो गए.

इस घटना में कई महिलाओं को भी चोट आई है. महिलाओं ने पुरुष पुलिस कर्मियों पर दुर्व्यहार करने का भी आरोप लगाया. उधर, उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि कुशवाहा समाज पर लाठी चलवाने के बजाय नीतीश कुमार अपने बयान का अर्थ लोगों को सार्वजनिक रूप से समझा देते, तो बड़ी कृपा होती. शायद लोगों का गुस्सा शांत हो जाता और आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ती. बिहार के मौजूदा हालात को देखकर ऐसा लगता है कि अभी नीच शब्द को लेकर राजनीति और तेज होने वाली हैं.

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