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आखिर नीतीश कुमार के खिलाफ दर्ज हत्या का मामला है क्या...

बिहार में मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही आरजेडी और जेडीयू का महागठबंधन टूट गया. नीतीश ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद 'नैतिकता के आधार' पर गठबंधन तोड़ते हुए इस्तीफे की बात कही. वहीं लालू यादव ने नीतीश पर पलटवार करते हुए उन्हें हत्या और आर्म्स ऐक्ट में आरोपी बताया.

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आरजेडी से नाता तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं नीतीश कुमार
आरजेडी से नाता तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं नीतीश कुमार

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बिहार में मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही आरजेडी और जेडीयू का महागठबंधन टूट गया. नीतीश ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद 'नैतिकता के आधार' पर गठबंधन तोड़ते हुए इस्तीफे की बात कही. वहीं लालू यादव ने नीतीश पर पलटवार करते हुए उन्हें हत्या और आर्म्स ऐक्ट में आरोपी बताया.

'भ्रष्टाचार से बड़ा है हत्याचार'

नीतीश कुमार के सीएम पद से इस्तीफे के ऐलान के बाद लालू ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. यहां उन्होंने नवंबर 1991 में हुए लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के दौरान बाढ़ संसदीय क्षेत्र में हुई सीताराम सिंह नामक व्यक्ति की हत्या का जिक्र किया, जिसमें नीतीश कुमार बतौर अभियुक्त नामजद हैं. आरजेडी सुप्रीमो ने मीडिया के सामने कुछ दस्तावेज भी दिखाते हुए कहा कि खुद को ईमानदार बताने वाले नीतीश कुमार को पता था कि वह अब इस मामले में घिरने वाले हैं. इसी डर से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और दोबारा बीजेपी के साथ जाने का मन बना लिया. लालू ने नीतीश पर हमला करते हुए कहा, 'भ्रष्टाचार से बड़ा अपराध हत्याचार है.'

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क्या है पूरा मामला

दरअसल हत्या का यह मामला 26 साल पुराना है, जिसमें पंडारख थानाक्षेत्र में पड़ने वाले ढीबर गांव के रहने वाले अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. अशोक सिंह ने इस बाबत दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया था कि बाढ़ सीट पर मध्यावधि चुनाव में वह अपने भाई सीताराम सिंह के साथ वोट देने मतदान केंद्र गए थे, तभी इस सीट से जनता दल उम्मीदवार नीतीश कुमार वहां आ गए. उनके साथ मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे. सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थे.

पढ़ें FIR की कॉपी

एफआईआर में आगे कहा गया है, 'फिर अचानक नीतीश कुमार मेरे भाई को जान से मारने की नीयत से फायर किया, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.' एफआईआर के मुताबिक, इस घटना में शिकायतकर्ता के अलावा चार अन्य लोग भी घायल हो गए.

नीतीश के खिलाफ दर्ज इस FIR को लेकर अब यह बात सामने आ रही है कि 1991 का यह मामला वर्ष 2009 में दोबारा उछला था. तब 1 सितंबर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था. 

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इस पर फिर नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर मामले को रद्द करने की मांग की थी. इस पर हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के आदेश पर स्टे लगा दिया और इस हत्याकांड में नीतीश के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को उसके पास स्थानांतरित करने को कहा था. हालांकि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इन 8 वर्षों के दौरान इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.

 

 

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