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नीतीश कुमार के खेमे में जा रहे RJD नेताओं के 'वारिस', आखिर क्या है JDU की रणनीति?

बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव मुस्लिम-यादव के साथ दूसरी जातियों को जोड़कर नई सोशल इंजीनियरिंग बनाने में जुटे हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू को फिर से मजबूत करने में जुटे हैं. नीतीश के टारगेट पर आरजेडी के बड़े नेताओं के बेटे हैं, जिन्हें वो अपने साथ मिला रहे हैं. आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे के बाद राजबल्लभ के भतीजे को साधने में जेडीयू जुटी है.

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नीतीश कुमार के साथ राजबल्लभ के भतीजे अशोक यादव
नीतीश कुमार के साथ राजबल्लभ के भतीजे अशोक यादव
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तेजस्वी बिहार में नई सोशल इंजीनियरिंग बना रहे हैं
  • जेडीयू ने आरजेडी नेताओं के परिवार में लगाई सेंध

बिहार की सियासत में जेडीयू और आरजेडी के बीच शह-मात का खेल चल रहा है. तेजस्वी यादव इन दिनों आरजेडी को मुस्लिम-यादव के तमगे से बाहर निकालकर नई सोशल इंजीनियरिंग गढ़ने में जुटे हैं. वहीं, सीएम नीतीश कुमार अपनी पार्टी जेडीयू के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. आरजेडी के दिग्गज नेताओं के सियासी वारिसों पर उनकी नजर है, जिन्हें अपने साथ मिलाने में जुटे हैं. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे की जेडीयू में एंट्री के बाद अब लालू यादव के करीबी माने जाने वाले राजबल्लभ यादव परिवार से सदस्य को मिलाने की बारी है. 

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नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के परिवार में बड़ी टूट को अंजाम दिया, जिसका नतीजा यह है कि मंगलवार को जगदानंद सिंह के सबसे छोटे बेटे अजीत सिंह जेडीयू में शामिल हो गए. वहीं, अब आरजेडी विधायक विभा देवी और पूर्व आरजेडी विधायक और लालू यादव के करीबी माने जाने वाले राजबल्लभ यादव के भतीजे अशोक यादव ने नीतीश कुमार से मुलाकात की है, जिसके बाद उनके जेडीयू में जाने की चर्चांए तेज हैं. अशोक यादव निर्दलीय एमएलसी बने हैं. 

अशोक यादव आरजेडी विधायक विभा देवी और जेल में बंद पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव के भतीजे हैं. स्थानीय निकाय के एमएलसी चुनाव में आरजेडी ने अशोक यादव को नवादा सीट से टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय ताल ठोक दी. तेजस्वी यादव ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के तहत अशोक यादव के बजाय श्रवण कुशवाहा को एमएलसी प्रत्याशी बनाया था. आशोक यादव के सियासी प्रभाव के आगे तेजस्वी का कुशवाहा कार्ड खेलने का दांव सफल नहीं हो सका. अशोक ने निर्दलीय चुनाव जीतकर खुद को साबित कर दिया.

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एमएलसी बनने के बाद अशोक यादव अब अपने सियासी ठिकाने की तलाश में जुट गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अशोक यादव ने मुलाकात की. लेकिन, सीएम से मिलने से पहले उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की थी. इसके बाद अशोक यादव ने जेडीयू अध्यक्ष लल्लन सिंह के साथ मुख्यमंत्री आवास पर जाकर नीतीश कुमार से मिले. नीतीश कुमार ने अशोक यादव को विधान परिषद की समिति में जगह देकर एक बड़ा सियासी दांव चल दिया है. 

जेडीयू में जाने के संकेत दे रहे अशोक यादव

अशोक यादव ने आजतक के साथ बातचीत में कहा कि वह उसी का साथ देंगे जो नवादा जिले के विकास के लिए काम करेगा और जिले का कल्याण करेगा. नीतीश कुमार से मुलाकात पर अशोक यादव ने कहा कि नवादा जिले की समस्या से अवगत कराया और जिले के विकास को गति देने के लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया. अशोक यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनकी सभी मांगों को धैर्यपूर्वक सुना है और जल्द ही सभी काम करवाने का भरोसा जताया है. इस तरह इशारों-इशारों में उन्होंने जेडीयू के साथ जुड़ने के संकेत दे दिए हैं. 

माना जा रहा है कि अशोक यादव यह बात बेहतर समझ रहे हैं वो निर्दलीय चुनाव जीते हैं और आरजेडी के साथ विपक्ष में रहते नवादा के विकास लिए बहुत कुछ खास नहीं कर सकते हैं. वहीं, जेडीयू सरकार में है और अभी तीन साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रहने वाली है, जिसके चलते सत्ता के करीब रहते हुए नवादा के विकास के लिए अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. इसीलिए अशोक यादव कह रहे हैं कि जो भी नवादा के विकास के लिए काम करेगा उसी के साथ जाएगें. 

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वहीं, तेजस्वी यादव की नई सोशल इंजीनियरिंग में अशोक यादव खुद को फिट भी नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते भी अपने लिए नया सियासी ठिकाना तलाश रहे हैं. ऐसे में जेडीयू उनके लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर भी दिख रही है. इतना ही नहीं, सत्ता के करीब रहते हुए अपने चाचा राजबल्लभ यादव के लिए भी मदद का जरिए बन सकते हैं. राजबल्लभ  फिलहाल रेप के मामले में जेल में बंद हैं. 

अब बात आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह की, जिन्होंने जेडीयू का दामन थामा. अजित सिंह के अपने पिता के साथ वैचारिक मतभेद पहले से हैं और जगदानंद सिंह की सियासी विरासत के तौर पर उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह आरजेडी से विधायक बनकर खुद को स्थापित करने में जुटे हैं. ऐसे में अजित सिंह के लिए आरजेडी में अब बहुत ज्यादा विकल्प नहीं दिख रहा है, जिसके चलते अपने पिता से अलग जेडीयू का दामन थामा बेहतर समझा.  

हालांकि, जगदानंद सिंह के बेटे अजित सिंह की ज्यादा पहचान नहीं है. लेकिन उन्हें जेडीयू में शामिल कराने के लिए ललन सिंह सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जेडीयू दफ्तर पहुंचे थे. इससे स्पष्ट हो जाता है कि जगदानंद सिंह के बेटे को जेडीयू में शामिल कराने के पीछे पार्टी मनोवैज्ञानिक रूप से आरजेडी को झटका देना चाहती है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने अजित सिंह के जेडीयू में शामिल होने को महत्वपूर्ण बताते हुए आरजेडी पर करारा हमला बोला. इसी के उन्होंने जगदानंद सिंह को जेडीयू में शामिल होने का ऑफर भी दिया. 

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वहीं, अजित सिंह ने कहा कि आरजेडी पर सवर्ण विरोधी पार्टी होने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि पिता जगदानंद सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं को सम्मान नहीं हो रहा है. तेजस्वी यादव के पास बिहार के विकास का कोई मॉडल नहीं है और न ही उन्हें राजनीतिक समझ है. इस तरह तेजस्वी यादव पर सवाल खड़े करते हुए अब जेडीयू से तीर छोड़ेंगे. इससे पहले पार्टी के दिग्गज नेता रहे दिवंगत रघुवंश सिंह के बेटे भी जेडीयू में शामिल हो चुके हैं.

 

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