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एक हफ्ते पुरानी सरकार और दागी मंत्री-भ्रष्टाचार की समस्या, तनाव में नीतीश कुमार?

बिहार में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से हाथ मिलाकर सरकार तो फिर बना ली है, लेकिन जमीन पर स्थिति इतनी भी ठीक नहीं चल रही है. इस सरकार के बनते ही कुछ ऐसे विवाद सामने आ गए हैं जो नीतीश को भी परेशान कर रहे हैं.

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सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव
सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपना एक सियासी औरा है. इस औरे में कर्तव्यनिष्ठा, इमानदार छवि के साथ बिना दाग वाला व्यक्तितत्व शामिल है. नीतीश कुमार इसे लेकर काफी अलर्ट भी रहते हैं. पत्रकारों के कई असहज सवालों पर शांति से जवाब देने वाले नीतीश जब भड़कने लगें या फिर चुप रहने लगें, तो समझ लीजिए उन्हें कोई बात खटक रही है. ताजा मामला महागठबंधन के साथ सरकार बनाते ही उनके सिर पर कई तरह आरोप मढ़ दिये गए. जिसमें राजद कोटे के मंत्रियों के भ्रष्टाचार और घोटाले के साथ अब तेज प्रताप की ओर से सरकारी बैठक में रिश्तेदार को लेकर जाने की बात शामिल है. 

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एक हफ्ते पुरानी सरकार विवाद में क्यों?

वर्षों की बनाई नीतीश कुमार की छवि एक झटके में दरकने लगी. पांच करोड़ के चावल घोटाला आरोपी कृषि मंत्री और अपहरण के आरोपी मंत्री के शपथ लेने के साथ सवालों की बौछार शुरू हो गई. जिससे नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे हैं. जदयू नेता जवाब देते-देते थक गए हैं. राजद कोटे के मंत्री खुलेआम गाली देने लगे हैं.  उपर से तेजस्वी के साथ सरकारी बैठक में कार्यकर्ता के बैठने का फोटो और तेज प्रताप के साथ जीजा जी का बैठना वायरल हो गया है. अब जदयू नेता परेशान हैं कि आखिर जवाब दे भी तो कैसे. उधर, सुशील मोदी सियासत के जॉन रैंबो बन गए हैं और लगातार जदयू पर हथियार ताने हुए हैं. छोटी से छोटी बात उनकी नजरों से नहीं बच रही है. 

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नीतीश क्या रणनीति अपनाएंगे?

सियासी जानकारों और जदयू के सूत्रों की मानें, तो रोजाना आ रही इन खबरों से नीतीश कुमार तनाव में आ गए हैं. वे अपने कैबिनेट के मंत्रियों को कुछ कह भी नहीं पा रहे हैं. राजद कोटे के मंत्रियों को नियंत्रण में करने के लिए उन्होंने एक नीति अपनाई है. वो तेजस्वी के जरिए राजद कोटे के मंत्रियों पर लगाम लगाने की तैयारी में हैं. सूत्रों का मानना है कि अगर राजद कोटे के मंत्रियों को अभी से नियंत्रित नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में और बड़ी खबर सामने आ सकती है. यही वजह है कि नीतीश कुमार बाकी कुछ मामलों में बोलने से पहले तेजस्वी को ही डायरेक्ट निर्देश दे रहे हैं. नीतीश कुमार को लालू की उस बात की भी लाज रखनी है कि- तुहीं बड़ बाड़अ अब सबके साथ लेके चलेके बा.

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