कोसी नदी के किनारे बसे बिहार के जिलों में बाढ़ के मद्देनजर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. राहत व बचाव के लिए एनडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं. लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजने का काम किया जा रहा है.
पांच जिलों में राहत शिविर भी बनाए गए हैं. दरअसल, बाढ़ का खतरा नेपाल की ओर से किसी भी वक्त पहुंचने वाले पानी की वजह से है.
कोसी एक बार फिर कोहराम मचाने के मूड में है. कोई नहीं जानता कि किस वक्त इसमें सैलाब आ जाए और करीब डेढ़ लाख जिंदगियों को तबाह कर जाए. नदी किनारे बसे आठ जिलों में लोगों की नींद उड़ गई है. ये जिले हैं- सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, भागलपुर, अररिया, पूर्णिया, मधुबनी. इन जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है.
हालात कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राहत और बचाव कामों के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टुकड़ियों की तैनाती कर दी गई है. यहां तक कि सेना को भी सतर्क कर दिया गया है.
सबसे ज्यादा खतरा सुपौल, सहरसा और मधेपुरा जिलों पर मंडरा रहा है. इन जिलों में कोसी किनारे के इलाके खाली कराए जा रहे हैं और लोगों सुरक्षित स्थानों पर जाने या फिर राहत शिविरों में शरण लेने की सलाह दी जा रही है. प्रशासन ने सुपौल में 21, सहरसा में 28 और खगड़िया में 22 राहत कैंप बनाए हैं.
सुपौल में कोसी बराज के सारे 56 गेटों को खोल दिया गया है और बाढ़ से बचने के लिए हर मुमकिन तैयारियां की जा रही हैं. सुपौल को ही केंद्र बनाया गया है और यहीं से राहत और बचाव के कामों को मॉनिटर किया जाएगा.
बिहार के आठ जिलों पर मंडरा रहा खतरा इस बार नेपाल से आया है. नेपाल में हुए भूस्खलन (Landslide) की वजह से कोसी में करीब 25 लाख क्यूसेक पानी अचानक बढ़ेगा और डेढ़ लाख लोगों की जिंदगी में हलचल पैदा कर जाएगा.
कोसी में बाढ़ के खतरे की वजह...
सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कोसी में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा. दरअसल, नेपाल में भूस्खलन हुआ, तो मलबे के नीचे बड़ी मात्रा में कोसी का पानी जमा हो गया. जैसे ही मलबा हटाया जाएगा, करीब 20 से 25 लाख क्यूसेक पानी भारत की सीमा में दाखिल होगा और कोसी कोहराम मचा देगी. किसी को नहीं मालूम कि कोसी का कहर कब और कैसे टूटेगा. अभी जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. लेकिन आशंका जताई जा रही है कि किसी भी वक्त नदी में पानी इतना भर जाएगा कि आसपास के इलाके देखते-देखते जलमग्न हो जाएंगे.
नेपाल से जुड़ी है खतरे की कड़ी
इस बार कोसी में खतरे की कड़ी पड़ोसी देश नेपाल से जुड़ी है. शनिवार रात बिहार सीमा से करीब 260 किलोमीटर दूर नेपाल के सिंधु पाल जिले के एक गांव में भूस्खलन हुआ. यह गांव कोसी की सात धाराओं में से एक भोट कोसी का इलाका है, जो कोसी का जल अधिग्रहण क्षेत्र भी है. यहां भूस्खलन के बाद मलबों ने कोसी का रास्ता रोका और फिर काफी मात्रा में पानी ठहर गया. इसके बाद नेपाल ने अलर्ट जारी किया कि जब मलबा हटाया जाएगा, तो पानी तबाही मचाएगा.
भूस्खलन के बाद मलबे को हटाने के लिए और पानी निकालने के लिए विस्फोट किए जाएंगे. विस्फोट के बाद 20 लाख से 25 लाख क्यूसेक पानी भारत की सीमा में घुसेगा. आशंका जताई जा रही है कि अगर ऐसा होता है, तो बीरपुर बराज तबाह हो जाएगा और कोसी के किनारे बसा बड़ा इलाका सैलाब में डूब जाएगा.
बिहार आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की टीम को भूस्खलन की जगह पर भेज दिया गया है. साथ ही नेपाल से अपील भी की जा रही है कि मलबे को विस्फोट करके न हटाया जाए, बल्कि पहले पानी को धीरे-धीरे निकाला जाए. लेकिन खबर है कि नेपाल ने सेना की मदद से विस्फोट करके मलबे हटाने का काम शुरू कर दिया है.
कुदरत ने शायद एक बार फिर इंसानों को सबक सिखाने की ठान ली है. अब देखने वाली बात होगी कि इंसान अपनी सूझबूझ से कुदरत के कहर से बचने में कैसे और किस हद तक कामयाब हो सकता है?